न छेड़ो प्रकृति को आज भी हवाए अपने इशारे से बादलो को मोड़ लाती हैं। गर्म सूरज को भी पर्दे की ओट मे लाकर एक ठंडा एहसास जगाती हैं। रात की ठंड मे छुपता चाँद कोहरे की पर्त मे, उस पर्त को भी ये उड़ा ले जाती हैं। प्रकृति आज भी अपने वजूद और जज़बातो को समझती हैं हर मौसम को।पर मानव उनसे कर खेलवाड़, अपने लिए ही मु
भागदौड़ भरे जीवन मे अनेक बार ऐसे अवसर अवश्य आते है, जब व्यक्ति स्वयं के व्यक्तित्त्व को न बदलकर, विश्व को बदलने की नाकाम कोशिश करता है । इस विचारधारा वाला छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब या अच्छा-बुरा कोई भी व्यक्ति हो सकता है । यहाँ तक कि, अनेक बार दृढ़-निश्चयी और अच्छा व्यक्ति भी अपने व्यक्तित्त्व को नहीं बदल प