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शाम को ऑफिस से घर जा रहा था कि तभी चिलचिलाती गर्मी के दरवाजे पर मानसून ने दस्तक दी। बारिश होने लगी और सड़क पर चलते लोग बचने के लिए आड़ ढूंढने लगे। मगर मुझे कुछ अलग महसूस हुआ ऐसा लगा कि जैसे इस पल को मैं पहले जी चुका हूं। फिर कुछ पल याद आए जो आज फिर से जीवंत होते लगने लगे। दोस्तों के साथ बिताए पल

ज्येष्ठ मास की दोपहर थी। चिलचिलाती धूप में जमीन तवे कीतरह तप रही थी। गर्म लू के थपेड़े शरीर में एक चुभन पैदा कर रहेथे। सूरज की तपिश से पसीना भी बाहर आने से डरता था। आसमानमें परिंदों का नाम ना था। उस आग बरसाते हुए आसमान के नीचेरियासतों की पलटनों में कोहराम मचा था। हर तरफ लाशें कटे हुएपेड़ों की तरह गि

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भागदौड़ भरे जीवन मे अनेक बार ऐसे अवसर अवश्य आते है, जब व्यक्ति स्वयं के व्यक्तित्त्व को न बदलकर, विश्व को बदलने की नाकाम कोशिश करता है । इस विचारधारा वाला छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब या अच्छा-बुरा कोई भी व्यक्ति हो सकता है । यहाँ तक कि, अनेक बार दृढ़-निश्चयी और अच्छा व्यक्ति भी अपने व्यक्तित्त्व को नहीं बदल प

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