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दूर

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दुनिया में आए अकेले हैं। दुनिया से जाना अकेले हैं। दर्द भी सहना पड़ता अकेले हैं। लोग मतलब निकलते ही छोड़ देते अकेला है। तो फिर काहे की दुनियादारी, लोगों से दूर रहने में ही ठीक है। दर्द जब हद से गुजरता है तो गा लेते हैं। जिंदगी इम्तिहान लेती है। कभी इस पग में कभी उस पग में घुंघरू की तरह बजते ही रहें

आजाद हुआ कोरोना।कोरोना बढ़ रहा है लॉक डाउन खोला जा रहा है।देश दुनियाँ में मौत के आंकड़े को छुपाया जा रहा है।जग में मानव को जीने का सलीका दिया जा रहा। काश यह छूट देश मे पहले दी गई होती ।आज देश मे एक भी प्रवासी मजदूर न हुआ होता।हर प्रवासी मजदूर कोरोना की शक्ल में नजर आ रहा है।चाहत होती थी दिल्ली, मुम्बई

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