आजाद हुआ कोरोना।
कोरोना बढ़ रहा है लॉक डाउन खोला जा रहा है।
देश दुनियाँ में मौत के आंकड़े को छुपाया जा रहा है।
जग में मानव को जीने का सलीका दिया जा रहा।
काश यह छूट देश मे पहले दी गई होती ।
आज देश मे एक भी प्रवासी मजदूर न हुआ होता।
हर प्रवासी मजदूर कोरोना की शक्ल में नजर आ रहा है।
चाहत होती थी दिल्ली, मुम्बई, गुजरात, इंदौर, आगरा जाने की।
अब तो इन शहरों में गांव वालों को कोरोना नजर आ रहा है।
पहले चाहत थी शहर वालो से अब उन शहर वालो से डर लग रहा है।
यह बात कहने से गाँव पीछे नही हट रहा है, अपनो को भी अपनाने से दूर भाग रहा है।