अधूरे सपने
अधुरे सपनेनारायण जी बहुत देर से कुसुम का हाथ पकड़ उनसे बाते कर रहे थे, " तुम्हे याद है ना हमने तय किया था , बच्चो की शादी के बाद मै और तुम घूमने जायेन्गे इतने साल इनकी जिम्मेदारी मे बिता दिये खुद के सपनो आशाओ को नजर अन्दाज कर दिया , अब वो समय आने ही वाला है भगवान की कृपा से बेटी अपने घर मे खुश है