महत्व या.....जरूरत
घर की इकलौती औरत की असमय म्रत्यु के बाद परिवार के चारो मर्द बेहद मुश्किल मे थे l घर के सामान से ले कर रोटी बनाने कपडे धोने तक किसी भी विषय के बारे मे कुछ भी नही पता था l
रिश्तेदार पडोसी सभी क्रियाकर्म के बाद से ही हर पहचान वाले, रिश्तेदारो ,पडोसियो की बेटियो के नाम सुझाने मे लगे थे घर के बेटो की शादी कि लिये l
जिन लडकियो मे आज तक बेवजह मीनमेख निकाले जाते थे आज उनके सभी अवगुन छिप गये थे और अच्छाइया नजर आने लगी थी l
परिवार की तीन जोडी आंखे बहुत उम्मीदो से उनमे से अपने घर के लिये बहु तलाश रही थी , सिवाय बुजुर्ग दादाजी के, वो अपने विचारो मे खोये अतीत मे पहुंचे हुए थे जब बचपन मे ही इलाज के अभाव मे उनकी बहन ने दम तोड़ दिया था ,और कैसे अपनी माँ के कहने मे आ अपनी अजन्मी बेटी को दुनिया मे आने से पहले ही विदा कर दिया था और पहले पोत्र के जन्म लेते ही मरने के बाद दो पोत्र ओर हुए फिर उनकी विराम लगाने की आदेश था या भगवान की मर्जी थी कि फ़िर बहू की गोद हरी हुई ही नही l
आज शायद अपने किये का पछतावा था घर मे औरत की जरूरत या औरत का महत्व पता नही क्या था बस आंखो मे नमी थी l
@रेनुका