अधुरे सपने
नारायण जी बहुत देर से कुसुम का हाथ पकड़ उनसे बाते कर रहे थे, " तुम्हे याद है ना हमने तय किया था , बच्चो की शादी के बाद मै और तुम घूमने जायेन्गे इतने साल इनकी जिम्मेदारी मे बिता दिये खुद के सपनो आशाओ को नजर अन्दाज कर दिया , अब वो समय आने ही वाला है
भगवान की कृपा से बेटी अपने घर मे खुश है और बेटे के लिये भी अच्छे रिश्ते आ रहे है उनमे से किसी को पसंद कर जल्दी से अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जायेन्गे हम फ़िर सारा समय बस मेरा और तुम्हारा ठीक है ना "
"बेटा अनिल समझाओ अपने पापा को शाम होने को है अंतिम संस्कार के लिये देर हो रही है उनको यकीन कैसे दिलाये कि कुसुम जी अब उनको जवाब नही दे पायेन्गी " कहते हुए शर्मा अंकल फूट फूट कर रोने लगे l
@ रेनुका