प्यार से ही सदा पेश आओ
वैर नफरत न दिल में बढ़ाओ
दुश्मनी ये नहीं आग अच्छी
हो सके तो अगन ये बुझाओ
देख मौसम हुआ आशिकाना
आज नज़रों से नज़रे मिलाओ
तुम निगाहों से यूं तीर फेंको
हमसे यूं न निगाहें चुराओ
क्रोध अग्नि में जो जल रहे है
प्यार का पाठ इनको पढ़ाओ
पीर पंडित वल्ली सब से पूछूं
है किधर ये खुदा तुम बताओ
तुमको थोड़ा सकूं तो मिलेगा
दिल की बातें हमें तुम सुनाओ
आज मरहम मिलेगा सभी को
जख्म दिल के सभी तुम दिखाओ
अब तो तेरा हुआ आज "सागर"
बेवजह अब न आंसू बहाओ
गोपी डोगरा "सागर "