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एक गजल 212 212 212 2

21 जून 2023

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 प्यार से ही सदा पेश आओ 

वैर नफरत न दिल में बढ़ाओ 

  

दुश्मनी ये नहीं आग अच्छी 

हो सके तो अगन ये बुझाओ 

  

देख मौसम हुआ आशिकाना 

आज नज़रों से नज़रे मिलाओ 

  

तुम निगाहों से यूं तीर फेंको 

हमसे यूं न निगाहें चुराओ 

  

क्रोध अग्नि में जो जल रहे है 

प्यार का पाठ इनको पढ़ाओ 

  

पीर पंडित वल्ली सब से पूछूं 

है किधर ये खुदा तुम बताओ 

  

तुमको थोड़ा सकूं तो मिलेगा 

दिल की बातें हमें तुम सुनाओ 

  

आज मरहम मिलेगा सभी को 

जख्म दिल के सभी तुम दिखाओ 

  

अब तो तेरा हुआ आज "सागर" 

बेवजह अब न आंसू बहाओ 

  

गोपी डोगरा "सागर " 

   

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21 जून 2023
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 गजल 16  2122*1212*22     आप से दिल लगा रहे है हम,  जान आफत में ला रहे है हम,     आग से खेलना नही आसा,  मुश्किलों क्यों बढ़ा रहे है हम,     तुमको अपना जो मान बैठे है,  राज तुमको बता रह

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एक गजल

21 जून 2023
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 तड़फते दिलों की दवा तुम करो  मिले सबको दिलबर दुआ तुम करो     मुहब्बत करो तुम हँसी दिलरुबा से  किसी से डरो न खता तुम करो     ये खाबो की परियां हंसी नाजनीना  ये रहती कहाँ है पता तुम करो     चलो

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गजल

23 जून 2023
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    हमे तो हमारा नसीबा न भाया  जिसे अपना समझा उसी ने रुलाया     ये कैसी है दुनिया समझ में न आए  जिसे दिल दिया है उसी ने सताया     दगाबाज न थे न थे हम फरेबी  दिलों पे ये खंजर है किसने चलाया   

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