तड़फते दिलों की दवा तुम करो
मिले सबको दिलबर दुआ तुम करो
मुहब्बत करो तुम हँसी दिलरुबा से
किसी से डरो न खता तुम करो
ये खाबो की परियां हंसी नाजनीना
ये रहती कहाँ है पता तुम करो
चलो आज फिर से है उसने पुकारा
मुहब्बत की रस्में अदा तुम करो
सभी को लगाओ गले से यूँ अपने
ये नफरत दिलो से जुदा तुम करो
तुम्हे ही तो मैंने खुदा अपना माना
दवा भी तुम्ही हो शफा तुम करो
मैं कहती ही जाती मुहब्वत की बाते
कभी गौर से भी सुना तुम करो
ये "सागर" ये दरिया मुहब्वत के प्यासे
मुहब्बत में इनसे वफ़ा तुम करो
गोपी डोगरा "सागर"