गजल 16
2122*1212*22
आप से दिल लगा
रहे है हम,
जान आफत में
ला रहे है हम,
आग से खेलना
नही आसा,
मुश्किलों
क्यों बढ़ा रहे है हम,
तुमको अपना जो
मान बैठे है,
राज तुमको बता
रहे है हम,
ये अंधेरा हमे
डराता है,
पास तुमको
बुला रहे है हम,
नाम तेरा ही
गुनगुनाते है,
खुद को पागल
बना रहे है हम,
साथ तेरा कभी
न छोड़ेंगे,
ये यकीदा दिला
रहे है हम,
आप नफरत हमीं
से करते हो,
दूर तुमसे तो
जा रहे है हम,
जाम हाथो मे आ
गया है जब,
आग दिल की
बुझा रहे है हम,
आप
"सागर" की बात सुन तो लो,
आप का दिल
चुरा रहे है हम,
गोपी डोगरा "सागर"
तर्ज: जब भी
ये दिल उदास होता है..