अपनी ज़िन्दगी के रावणअब मुझे जलाने हैंमान मर्यादा लोक लाजके बंधन अब मुझेभुलाने हैंमैं प्यारी और दुलारी थीजब तक अपनीउपेक्षा सेहती रहीतुम्हारे बेटा बेटी के दुर्भाव मेंमैं अपने अधिकार छोड़ती रहीतुम्हारी इस मानसिक सोचसे मुखौटे अब हटाने हैंअपनी ज़िन्दगी के रावणअब मुझे जलाने हैंतु
तितली के पंखों के जैसे रंग बिरंगे सपने हो नहीं किसी गैर के रंग बस मेरे अपने होमेरे सपनो की डोर बस मेरे हाथ होमन चाहे जहाँ उड़ चलू इस पार या उस पार कोमेरी सोच की लहरों का आकाश अपार होकब, कहाँ, किस ओर को जाना है ऐसा न कोई ख्याल होबाहों