10 जुलाई 2018
तितली के पंखों के जैसे रंग बिरंगे सपने हो नहीं किसी गैर के रंग बस मेरे अपने होमेरे सपनो की डोर बस मेरे हाथ होमन चाहे जहाँ उड़ चलू इस पार या उस पार कोमेरी सोच की लहरों का आकाश अपार होकब, कहाँ, किस ओर को जाना है ऐसा न कोई ख्याल होबाहों