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महिला सशक्तिकरण

10 जुलाई 2018

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तितली के पंखों के जैसे रंग बिरंगे सपने हो

नहीं किसी गैर के रंग बस मेरे अपने हो

मेरे सपनो की डोर बस मेरे हाथ हो

मन चाहे जहाँ उड़ चलू इस पार या उस पार को

मेरी सोच की लहरों का आकाश अपार हो

कब, कहाँ, किस ओर को जाना है ऐसा न कोई ख्याल हो

बाहों को फैलाकर उड़ चलू मैं चाहे जहा ऐसा मेरी खुशियों का संसार हो

जहाँ मेरी ही दुनिया हो और मेरा ही सागर हो

सतरंगी फूलों से सजी मेरी चादर हो

जहाँ न कोई जवाब और न ही कोई सवाल हो

जीवन में बस प्यार की गालियां हज़ार हो

नहीं किसी गैर के रंग बस मेरे अपने हो

तितली के पंखों के जैसे रंग बिरंगे सपने हो.


महिला सशक्तिकरण के विषय पे ऊपर लिखी गयी मेरी पंक्तियाँ अजीब लगे शायद किन्तु यह एक दबी आवाज़ है, सोये सपने है हर उस महिला के जो दुनिया के किसी कोने में अपने अधिकारों से वंचित है. जो कभी गर्भ में मार दी जाती है तो कभी पैदा होते ही. हर महिला ने शायद जीवन में किसी न किसी रूप में बंधन झेले है. चलना, उठना, बोलना, सजना स्त्री के हर कदम पर समाज के रूढ़िवादी ठेकेदारों का पहरा जो मानते है की,

' अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी,

आंचल में है दूध,आँखों में पानी. '

और यह विषमता सिर्फ हमारे देश में नहीं है. नारी के रक्षक का ढोंग भरता ये समाज उसका भक्षक ज्यादा है. तभी तो यह जीवनदायिनी कहीं शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ रही है, तो कहीं कार्यस्थल पर समानता के, किसी कोने में वह मताधिकार से वंचित है तो कही वह ड्राइविंग भी नहीं कर सकती, कोई उसे अपना जीवनसाथी चुनने तो अपनी मर्ज़ी से रिश्ता तोड़ने का भी अधिकार नहीं देता. तमाम कानून, धाराएं बनी पर स्त्री को महज खिलौना समझने वाले उसकी काट ढूंढ ही लाये.

पर इन तमाम बेड़ियों के बावजूद स्त्री ने उड़ना नहीं छोड़ा, उसने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराइ. विश्व के हर पटल पर अपना नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित कर रही है नारी. आज वह गहनों में सजी धजी गुड़िआ नहीं स्वयं एक गहना है.

'Women not only love diamonds,

but are also strong like them.' (Anonymous)

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था,

"लोगों को जगाने के लिए महिलाओं का जागृत होना ज़रूरी है."

आज वक़्त बदल चुका हैआज की नारी अबला नहीं एक सफल सबला है जो हर कदम पर रूढ़िवादी समाज का तबला बजा रही है. पंडित नेहरू की नारी अब जागृत है. संसार चक्र के दोनों पहिए आज बराबरी पर खड़े है. नर के बिन नारी और नारी बिन नर अधूरा है. उदाहरणों की सूची लम्बी है. आज की नारी ने धरती, आकाश, पाताल हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई है. दुनिया का कोई कोना, कोई क्षेत्र उसकी पहुँच उसकी चमक से दूर नहीं. उदाहरणों की सूची लम्बी है लिखते हुए शब्द कम पड़ जाएंगे. 'कुछ लोग कहते है स्त्री का कोई घर नहीं होता, मेरा मानना है की स्त्री के बिना कोई घर नहीं होता'

नारी शारीरिक रूप से कमज़ोर है ऐसा कहने वाले भी आज स्पोर्ट्स, डिफेन्स में बढ़ती महिलाओं की भागीदारी से खुद की सोच पर शर्मिंदा होते होंगे. जैसा की William Golding ने कहा,

" I think women are foolish to pretend they are equal to men, they are far superior and always have been. "

नारी को किसी सहारे की ज़रूरत नहीं वह स्वयं सहारा है, एक आग , औज़ार है. नारी सशक्तिकरण के इस विषय पर लिखने को तो बहुत कुछ है किन्तु नेताजी का लम्बा चौड़ा भाषण लिखने के बजाय एक महिला होने के नाते मैं हर नारी से यही कहना चाहूंगी.

" Be the heroine of your life, not the victim."

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