हमारे देश में गत वर्षो से 'वाहन नीति 'लागू नहीं होने का दुष्परिणाम प्रत्येक नागरिक भुगत रहा हैं! चाहे वाहन की आवश्यकता हो या नहीं हो ,चाहे तेज गति से चलाने लायक सड़क हो नहीं सडको पर जितनी तेजी से वाहन आ रहे हैं इनसे आम आदमी का जँहा सड़क पर चलना भी दुश्वार हो गया हैं वंही इनसे निकलने वाली कार्बन युक्त ज़हरीली गैसों से बीमार होने की संभावना भी बहुत अधिक बढ़ गयी हैं ?
क्या समय नहीं आ गया हैकि हम गंभीरता से आत्मचिंतन करे? कानून के द्वारा इस समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा !फर्जी स्टिकर्स लगा कर या अतिरिक्त वाहन खरीद लोग कानून से बचने का रास्ता तो निकाल लेँगे ,अतः आवश्यकता इस बात की है पूरे देश में स्कूटर और निजी कारो का उपयोग स्वेच्छा से कम से कम दो व्यक्ति पूल कर उपयोग करना प्रारम्भ कर देवे!
एक ही कॉलोनी /स्थान से रवाना होकर एक ही मंजिल पर जाने वाले यदि पूलिंग करते हैं तो इसमें न तो अहसान की बात रहती हैं वंही हम अपना ईंधन पर खर्च भी लगभग ५०% कम कर विदेशो से आयत किये जाने वाले ईंधन के बदले विदेशी मुद्रा बचा कर आने वाली पीढ़ी को प्रदुषण मुक्त वातावरण दे कर हम "एक पंथ दो काज कहावत बजाय एक पंथ चार काज वाली कहावत "चरितार्थ कर सकते हैं