तुम मुझे लगती बहुत ही प्यारी हो
सच-सच बताओ क्या तुम बिहारी हो
अब तो होने लगा है प्यार भी तुमसे
लगता है फ़नां होने की बारी हमारी हो
जो भी आया खुरच कर घायल कर गया
जैसे हमारा दिल इमारत सरकारी हो
भर जाते पेट नेताओं के भाषण से ही
जब महंगाई के साथ बेरोजगारी हो
लिखेंगे ग़ज़ल हम अपनी मर्ज़ी से ही
दुश्मन तुम या सरकार तुम्हारी हो
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संक्षिप्त परिचय:-
नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
अणुडाक- devraajkaushik1989@