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मै और गीता भाग 2

13 अप्रैल 2015

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महाभारत की लड़ाई में करण एक ऐसा व्यक्ति है जो वीर भी है , महान भी है ,सत्यवादी भी है , दानवीर भी है और राजभक्त या देशभक्त भी है. उसके पास केवल एक कमी थी की भगवन श्री कृष्ण उसके साथ नहीं थे . वो पांडवो को क्या तीनो लोको तक को जीत सकता था फिर भी जब जब उसका सामना अर्जुन से हुआ उसे हार का मुँह देखना पड़ा . कृष्ण ये जानते हुए की करण महान है फिर भी उसके साथ नहीं थे क्योकि वह जिस और था वहां धर्म नहीं था और जहाँ धर्म ना हो वहां तो श्री कृष्ण होही नहीं सकते . द्रोणाचार्य , भीष्मपितामह , और न जाने कितने ऐसे लोग थे जो महान भी थे वीर भी थे फिर भी विजयी नहीं हो मृत्यु को प्राप्त हुहे . महान होना , वीर होना और देशभक्त होना अच्छा है परन्तु धर्म के साथ न हो कर अधर्म का साथ देना अपनी वीरता , महानता पर ग्रहण लगाना है . वीर को धैर्य और शांति के साथ समझदारी से निर्णय लेना चहिये ना की क्रोध में आकर जल्दबाजी में . ऐसी ही कहानी दूसरे विश्व युद्ध की है .श्री कृष्ण ने कभी भी नहीं माना की पांडव बिलकुल सही है पांडवो में भी दोष थे , जिसकी सजा उनको भी समय समय पर मिलती रही , ये ही नहीं सर्वश्रेष्ठ धनुर्धन और जो कभी युद्ध में न हरा वो अर्जुन भी एक बार गुज्जरो से हार गया था , अर्जुन अपने धनुष पर प्रत्यंचा भी नहीं चढ़ा पाया और गुज्जरो की लाठी से हार गया , क्योकि उस समय तक श्री कृष्ण उसका भी साथ छोड़ चुके थे . स्वयं कृष्ण के वंशज एक दूसरे को मार कर मर गए और श्री कृष्ण की हत्या एक आखेटक नई की , बलराम ने समाधी लेली . तो ये सब क्या था श्री कृष्ण जानते थे की सब कही ना कही गलती कर रहे है स्वयं श्री कृष्ण ने गंधारी का श्राप लिया और उसे स्वीकार किया . वो तो ईश्वर थे फिर भी श्राप को स्वीकार किया . क्यों ? मनुष्य जब जन्म लेता है तो तब वह प्रकृति से गुण और अवगुण दोनों प्राप्त करता है सिर्फ मात्रा का अंतर होता है . इस शरीर की प्राप्ति के लिए अवगुण का होना अनिवार्य है , जो पांचो तत्वों और तीनो गुणों को बांधता है . यदि अवगुण न हो तो वह व्यक्ति तो मोक्ष की अवस्था में है जन्म और मृत्यु से पर जहाँ परम शांति है . इसलिए कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसमे दोष ना हो . दूसरे विश्व युद्ध की कहानी भी महाभारत से मिलती जुलती है . एक तरफ अमेरिका , ब्रिटेन और रशिया था तो दूसरी और जापान , जर्मन और इटली .किसे पांडव कहे और किसे कौरव ? दोनों ही सही नहीं थे . परन्तु जर्मन का नाज़ीवाद और जापान का सम्राज्यवाद दोनों ही ब्रिटेन , अमेरिका और रशिया द्वारा किये जारहे अत्याचारों से कही ज्यादा थे . चीन , कोरिया में जो अत्याचार जापानी सेना ने किये वो किसी से छिपे नहीं है , जर्मन द्वारा यहूदियों का नरसंहार उसे सही बताया जा सकता है ? अपने लाभ के लिए अत्याचारी का साथ लेने को क्या हम समझदारी कहेंगे ? नरसंहार करने वालो का साथ हम इसलिए दे की वो हमें आज़ादी भीख में देदेंगे ? वो क्या एक गुलामी नहीं है ?कहाँ है आत्मसम्मान ?वीरता , महानता , देशभक्ति इन सबसे भी ऊपर है धर्म , मानवता. युद्ध किसी विवाद का हल नहीं है , ये बात गीता में श्री कृष्ण द्वारा बारबार कही गयी है . युद्ध के बाद पांडवो को क्या मिला ? हस्तिनापुर का राज लेकिन उसे पाने के लिए क्या खोया ? अपने सभी परिवारजनो को . अपने ही बच्चो के शवो को ढोना पड़ा. अंत में केवल पांचो पांडवो के अलावा कौन बचा परिवार में. क्या आनंद मिला सबकुछ खोकर ? जीत सत्य की हुही पर पर उस जीत की कीमत भी चुकानी पड़ी . कांग्रेस की मीटिंग में जब इस प्रस्ताव को रखा गया की जापान के साथ मिलकर अंग्रेजो से लड़े तो गांधी जी ने इसका विरोध किया . कांग्रेस के अधिकतर लोग गांधी जी की बात से सहमत थे . क्या वे सभी गलत थे ? क्यों कांग्रेस के लोगो ने जापान के साथ मिलकर युद्ध का समर्थन नहीं किया ?आज हम गांधी जी को सही या गलत कहे लेकिन उस समय के लोगो ने तो गांधी जी सही माना था . अगर ऐसा ना होता तो करोडो लोग गांधी जी का साथ नहीं देते . गांधी जी ने जो विचार रखे थे उसमे यही कहा था की यदि हम जापानियों के साथ बर्मा में युद्ध करते है तो दोनों तरफ से लड़ने वाले हिंदुस्थानी होगे जो मरेंगे वो एक ही परिवार के लोग होगे . क्या यह उचित होगा की हम आपस में लड़े और लाभ जापान या अंग्रेजो को हो ? गांधी जी ने स्वतंत्रता की बात की परन्तु आंतकवाद के विरोधी थे , अहिंसा से मिली आजादी हमें गृह युद्ध में धकेल देगी ये गांधी जी की सोच थी . आज हम अंग्रेजो के खिलाफ आंतकवाद को सही ठहराएंगे तो कल येही आंतकवाद हम एक दूसरे के विरोध में करेंगे . हिन्दुस्थान बहु धर्म , बहु भाषा , बहु जातियों का देश है , जहाँ अहिंसा ही एक मात्र रास्ता है सभी समस्याओ को सुलझाने का . गांधी जी का भारतवर्ष के इतिहास का ज्ञान , स्वंम भारतदर्शन कर सभी के विचारो और विविधता की समझ ने ही उन्हें ये ज्ञान दिया था की युद्ध या आंतकवाद दोनों ही भारत वर्ष के लिए घातक होंगे . आजादी के बाद भी क्यों भारत सरकार ने भगत सिह या अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को ज्यादा प्रोत्साहन नहीं किया ? क्योकि हिन्दुस्थान में आजादी के समय से अलग अलग राजयो की मांग शुरू हो चुकी थी, भाषा , धर्म, जाती के नाम पर लोगो ने अपनी अपनी मांगे रखनी शुरू कर दी थी . डर यही था की कही ये सभी शांति और वार्ता का रास्ता छोड़ आंतकवाद का रास्ता ना पकड़ ले . और वो डर गलत भी नहीं था , ८० के दशक में पंजाब , ९० के दशक में कश्मीर ,नक्सलवाद , पूर्वी राज्यों में आंतकवाद इसके उदाहरण है . राज्यों का बटवारा, भाषा या धर्म के नाम पे दंगे ये सभी अहिंसा के प्रतिक है और गांधी जी ने इसी का विरोध किया था . वीरता , देशभक्ति से ऊपर रखा था मानवता को , शांति को , धर्म को . गांधी जी ने केवल गीता को पढ़ा नहीं बल्कि उसे अपने जीवन में ढाल लिया , हिन्दू धर्म का पालन किया . धर्म , सत्य और अहिंसा को हर जीत से ऊपर रखा .
शब्दनगरी संगठन

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प्रदीप जी, इसी तरह और भी लेख लिखते रहिए. 'शब्दनगरी' से जुड़कर कैसा आभास करते हैं, अवश्य लिखें.

13 अप्रैल 2015

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आमिर का बेटा और गरीब की बेटी जल्दी बड़े होते है

3 फरवरी 2015
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आमिर का बेटा और गरीब की बेटी जल्दी बड़े होते है

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सिद्धांतो की राजनीती से बिजली पानी की राजनीती

10 फरवरी 2015
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सिधान्तो की राजनीती से बिजली पानी की राजनीती. आज राजीनीति सिद्धांतो की नहीं बल्कि एक दुकानदारी है , कोई बिजली मुफ्त देने की बात कर रहा है तो कोई पानी कोई खाना देने को कह रहा है तो कोई दारू , सिद्धांत तो जैसे बीते जमानो की बात हो गई .

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तवापकी (पार्ट एक )

12 फरवरी 2015
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बाबूजी ने कहा तवापकी आ जाएगी और नन्ही बिस्तर में जाकर छिप गई और सो गई . ये तवापकी क्या है वो नहीं जानती बस मन में एक खौफ है . भगवन , अल्ला , गॉड ये सब क्या है , ये हम लोगो के दिए हुए नाम है . जैसे बाबू जी ने डराने के लिए एक नाम तवापकी बना दिया वैसे ही पंडित ,मौला , पॉप ने दुनिया को डराने के लिए ये न

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सुबह होती है शाम होती है जिंदगी यु ही तमाम होती है

19 फरवरी 2015
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सुबह होती है शाम होती है जिंदगी यु ही तमाम होती है

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दर्पण

19 फरवरी 2015
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एक समय था जब दर्पण नहीं होता था ,एक व्यक्ति को एक दर्पण मिला उसने उसे उठा लिया और उसने उसमे एक चित्र देखा जिसकी मूछेंदाढ़ी थी भयंकर आँखे थी पहले तो वो डरा फिर सोचा की यहाँ भगवान का चित्र है वो उसे घर ले आया और अपनी पत्नी को दिखाया कहा देखो ये भगवान का चित्र है . पत्नी ने देखा और कहा हा कितनी ममता है

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घर वापसी

19 फरवरी 2015
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भारतीय क्रिकेट टीम ने संघ का काम ,किया पाकिस्तान टीम की घर वापसी

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डर

25 फरवरी 2015
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मै था ,हु और रहूँगा फिर भी डर है मौत का , डर मरने का नहीं डर है तुझसे बिछड़ने का . फिर मिलेंगे या नहीं , इतना तो पता नहीं , पर तुम्हारे है और तुम्हारे ही रहेंगे . कब कहा और किस अदा से तुम मिलोगे तो नहीं जानता, बस जानता हु . जब भी मिलोगे जहाँ भी मिलोगे ऎसे ही गर्म जोश से मिलोगे ,और मेरी इस सू

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राजनीति की धुन

27 फरवरी 2015
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किसी को गाने की किसी को बजाने की किसी को किसी की किसी को किसी की धुन होती है वैसे ही आजकल समाजसेवियों को राजनीति की धुन है . निकले थे समाज सेवा को और बनगए समाज के ठेकेदार . गांधीजी के गिनाए सात पापो में एक है बिना सिद्धांत की राजनीति .

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हम से है जमाना

5 मार्च 2015
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है फ़िक्र किसी को आने वाले ज़माने का , किसी को है गम गुजरे ज़माने का . हम को तो ख़ुशी है ,हमसे है जमाना , ज़माने से हम नही, चाहे हो कोई भी जमाना . ना कल कोई साथ था , ना कल कोई होगा , आज है साथ तुम्हारा यही तो है हमारी ख़ुशी का खजाना . तुम्हारी ख़ुशी में ही ख़ुशी अपनी है , तुम्हारा गम ही तो गम हमारा है ,

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आना और फिर जाना

6 मार्च 2015
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देख कर रोता आये पास और बोले ,क्या गम है जो रो ते हो , कोई नहीं साथ अकेला हूँ , ये वज़ह क्या कम है रोने की , मै हूँ अब साथ क्या ये वज़ह कम है ना रोने की , हम ख़ुशी से जो हँसे , वो छोड़ कर चले ये कह कर , तुम हँसते बहुत हो यही वज़ह है छोड़ जाने की .

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दिल तो दीवाना है

6 मार्च 2015
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आना है उनका बहारो सा और जाना पतझड़ मिज़ाज़ है गर्मी तो एहसास सर्दी फिर भी ना जाने क्यों साथ उनका है बहार और जुदाई पतझड़ . कौन करे परवाह सर्दी गर्मी की जब उनके इश्क़ में दिल तो दीवाना है .

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शायरी

16 मार्च 2015
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उम्रे दराज़ मांग के लाये थे चार दिन , दो आरज़ू में कट गए दो इंतज़ार में .

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हम ज़माने से नहीं

18 मार्च 2015
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यू तो हम भी सताते है ज़माने को , उनके सताने के अंदाज़ निराले है . ज़हर चटाते है चाशनी में भिगोकर , और बताते खुद को बावफा है , हम ज़हर भी पीते है फिर भी , ज़माना कहता हमें बेवफा है . ज़माना उनका वो चाहे जो कहे , पर इतना तो जान ले वो भी हमसे है ज़माना ,हम ज़माने से नहीं .

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खूबसूरती

22 मार्च 2015
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खूबसूरती पोशाक की तुमसे, न की तुम्हारी पोशाक से, तुम्हारी खूबसूरती नहीं मोताज किसी पोशाक या सिंगार की , तुहारी सादगी में भी है खूबसूरती. तुमसे है बहारे , खुशबु तुमसे , नज़ारे तुमसे , फ़साने तुमसे .

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गांधी

22 मार्च 2015
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गौ हत्या पे तौबा और गांधी की हत्या पे नाज़ ये है संघ परिवार .गांधी कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार धारा है , सत्य, अहिंसा , सहनशीलता , समानता , सर्वधर्म प्रेमभाव , जिसकी हत्या रोज हो रही है , नन से बलात्कार , चर्चो की तोड़फोड़ , दंगे, धर्म परिवर्तन , गांधी के हत्यारे का सम्मान , गांधी को गाली , इस

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गीता और मै (भाग १ )

8 अप्रैल 2015
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गीता हिन्दुओ का एक पवित्र ग्रन्थ है , शायद ही कोई ऐसा हिन्दू हो जो गीता के विषय में न जानता हो . १००प्रतिशत हिन्दू इस ग्रन्थ की पूजा करते है . गीता के सार को जानने वालो की संख्या भी कम नहीं है , ९० प्रतिशत हिन्दू सड़क पर बिकने वाले पोस्टर या मंदिर , धर्मशाला , इतियादी स्थानो पर लिखे को पढ़कर गीता के स

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मीर तक़ी मीर

10 अप्रैल 2015
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लाई बहार आये , आई खिजा चले ,अपनी ख़ुशी ना आये ना अपनी ख़ुशी चले .

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मै और गीता भाग 2

13 अप्रैल 2015
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महाभारत की लड़ाई में करण एक ऐसा व्यक्ति है जो वीर भी है , महान भी है ,सत्यवादी भी है , दानवीर भी है और राजभक्त या देशभक्त भी है. उसके पास केवल एक कमी थी की भगवन श्री कृष्ण उसके साथ नहीं थे . वो पांडवो को क्या तीनो लोको तक को जीत सकता था फिर भी जब जब उसका सामना अर्जुन से हु

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अटलजी की बे अटल बाते

16 अप्रैल 2015
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अटलजी एक महान वक्ता है ये हर कोई मानता है , वे अच्छे लेखक भी है और कहानी या कहे बाते बनाना जानते है . लेकिन उनकी बातो में कितनी सच्चाई होती ये सोचने की बात है , अपने भाषणो के लिए प्रसिद्ध है , लेकिन अटलजी के कहने मात्र से वो सच्चाई नहीं बन जाती . अफगानिस्तान गजनी एक छोटा सा गांव है और वहा का एक छोटा

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सितारे जमीके

16 अप्रैल 2015
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कभी तो जमी के तारे भी होंगे आंसमा के सितारे कभी तो आंसमा भी ढूंढ लेगा जमी के तारे . बदलेगा जमाना बदलेगी फिजायें , बदलेंगे नसीब हमारे तुम्हारे . ये गया वक्त होगा , वो नया वक्त , जब हम भी होंगे आसमान के सितारे .

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पी के

17 अप्रैल 2015
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कल दारू पी के देखि पिक्चर पी के देखकर लगा डाइरेक्टर ने बनाई ये पिक्चर दारू पी के . दो अच्छे कहानी के प्लॉटों की कर दी ----------? इसे कहते है गु ड़ गोबर एक करना . ( पूरा पढ़ने के लिए करे इंतज़ार )

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पी के 2

17 अप्रैल 2015
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कल दारू पी के देखि पिक्चर पी के लगा देखकर डाइरेक्टर ने बनाई ये पिक्चर दारू पी के . दो अच्छे कहानी के प्लॉटों की कर दी ----------? इसे कहते है गु ड़ गोबर एक करना . ( पूरा पढ़ने के लिए करे इंतज़ार )

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एक और महाभारत भाग 2

19 अप्रैल 2015
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दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति पर जापान ,जर्मन और उनके साथ के सभी को मुजरिम करार कर दिया गया था और उसके लिए विश्व स्तर पर कोर्ट बनाई गई जिसके एक जज भारतीय थे . बहुत सारे लोगो ने आत्महत्या कर ली और बाकि सबको विश्व अदालत में पेश होना पड़ा . उन सब पर मुकदमा चला . जापान के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री आबे के

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गीता और मै (भाग २ )

21 अप्रैल 2015
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गीता की पृष्ठ भूमि है महाभारत का युद्ध . क्या कृष्ण भगवान ये ज्ञान युद्ध से पहले अर्जुन को नहीं दे सकते थे या किसी और समय ? क्यों श्री कृष्ण भगवान ने युद्ध का समय चुना ? युद्ध के मैदान में अर्जुन के अंदर इच्छा जागी की युद्ध से पहले दोनों और की सेनाओ को देखने की यही उचित समय बना अर्जुन को यह ज्ञान दे

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एक और महाभारत ( भाग ३)

23 अप्रैल 2015
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गीता में श्री कृष्ण भगवान ने कहा है की व्यक्ति के वश में कर्म करना तो है पर उस कर्म का फल नहीं इसलिए जब अर्जुन ने सवाल किया की हम यह भी नहीं जानते की हम जीतेंगे या नहीं तो फिर ऐसे युद्ध का क्या लाभ , तब श्री कृष्ण ने यही कहा था की तू केवल कर्म कर और फल की इच्छ

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सत्य या विवाद

2 अगस्त 2015
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सत्य कहने से यदि विवाद पैदा होता है तो क्या सत्य से मुंह मोड़ लेना चाहिए , विवादों से बचाना अच्छा है पर क्या सत्य को नकार कर ? यदि मेरे सत्य बोलने से विवाद पैदा होता है तो भी मै सत्य ही बोलूंगा . जिनेह सत्य कहने का रोग है वे जरूर सहमति जताए और हो जाने दे विवाद . सत्य और धर्म को यदि एक माने तो कृष्ण न

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उर्दू भाषा की उत्पति (भाग एक )

3 अगस्त 2015
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कोई भी भाषा किसी भी धर्म से नहीं जोड़ी जा सकती . न तो संस्कृत को हिन्दू धर्म से जोड़ा जा सकता है ना ही उर्दू को इस्लाम से . भाषा सिर्फ अभिव्यक्ति का साधन है . भाषा किसी विशेष स्थान से अवश्य जुडी हुई है . संस्कृत भारत से तो इंग्लिश इंग्लैंड से . उर्दू को पाकिस्तान से नहीं जोड़ा जा सकता . पाकिस्तान ने उर

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अपरिपक्व सोच

14 सितम्बर 2015
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काम करने के दो तरीके होते है , वैसे ही बात करने के . परिपक्व और अपरिपक्व . मेक इन इण्डिया चीनी नकल है , मेड इन चाइना की जिसमे अपरिपक्वता है . नेहरू जी ने आज़ादी के बाद कहा था आधुनिक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण , जो एक परिपक्व सोच का प्रतिक है .

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