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एक और महाभारत ( भाग ३)

23 अप्रैल 2015

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गीता में श्री कृष्ण भगवान ने कहा है की व्यक्ति के वश में कर्म करना तो है पर उस कर्म का फल नहीं इसलिए जब अर्जुन ने सवाल किया की हम यह भी नहीं जानते की हम जीतेंगे या नहीं तो फिर ऐसे युद्ध का क्या लाभ , तब श्री कृष्ण ने यही कहा था की तू केवल कर्म कर और फल की इच्छा छोड़ दे क्योकि फल तो तेरे वश में नहीं है . और यह चिंता भी छोड़ दे की हम जीतेंगे या नहीं . जिसने जन्म लिया है उसको किसी न किसी दिन तो मृत्यु को प्राप्त होना है और जो मृत्यु को प्राप्त होगा उसका दूसरा जन्म भी होगा . हर योद्धा की किसी न किसी दिन तो प्राण त्यागने ही है, तो फिर क्यों नहीं कर्म करते हुए त्यागे . जब व्यकि की सोच में मै आ जाता है वह अहंकार का प्रतिक है जो व्यक्ति को दुखो की ओर धकेल देता है उसके दुःख का कारण बनता है . मनुष्य सोचता की आज मैंने ये कर लिया कल मै यह कर लूँगा तब वह निश्चय ही अहंकारी है और ये उसका अहंकार ही उसे दुःख देता है . जो अपने अहम का छेदन कर ले वो मुक्ति को प्राप्त होगा ,और जो इस अहम का छेदन नहीं कर पायेगा वह बार बार इस मृत्यु लोक में जन्म लेगा . नेता जी का यहाँ नारा " तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दुगा ", क्या अहंकार से भरा नहीं है ? युद्ध तो उनके वश में था परन्तु परिणाम तो नहीं . आत्मविश्वास और अहंकार में अंतर है . हम लड़ेंगे और ईश्वर की कृपा से हम यह युद्ध जीतेंगे , शायद इसमें अहंकार नहीं आत्मविश्वास झलकता है . गांधी जी ने कभी नहीं कहा की मै तुम्हे आजादी दिलाऊगा उन्होंने सिर्फ कहा की यदि हम सब मिलकर अंग्रेजो का साथ छोड़ दे तो उन्हें यह देश छोड़ना ही पड़ेगा .गांधी जी के भाषणो में अहंकार नहीं आत्मविश्वाश झलकता है . गांधीजी ने कोई भी काम या आंदोलन किया वो कर्म समझकर किया ना की परिणाम के लिए क्योकि गांधीजी को गीता का सच्चा ज्ञान था . सुभाषचन्द्र बॉस को नेताजी कहना गलत है हा यदि कोई उपाधि देनी है तो तानाशाह की . सुभाषचंद्रबोस के नारे में तानाशाही झलकती है . जापान में उस समय ना तो राजा के और नाही सरकार के हाथ में शक्ति थी उस समय जापान में सेना के हाथ में सारी ताकत थी , आज भी जापान उस समय के तानाशाही सेना को गलत मानता है , सुभाषचंद्रबोस की तरह ही जापान में नारा दिया गया था , यह नारा उनका अपना नहीं बल्कि जापानी सेना का था जिन्होंने हजारो जवान बच्चो को कामिखाजे बना दिया था और धकेल दिया था मौत के मुह में .जाकर देखो जापान के वॉर म्यूजियम में जहा उन बच्चो की अंतिम पत्र रखे , जापानी जाकर उन बच्चो के लिए आंसू बहाते है ना की गर्व करते है , उस समय के नेतृत्व को कोई भी जापानी सही नहीं बताता . हिटलर की तानाशाही सारे जगत को पता है . उन का साथी होना ही बहुत है यह समझने के लिए की सुभाषचंद्रबोस गलत लोगो के साथ थे और उन से प्रभावित . जहाँ जापान और जर्मन उस समय के अपने नेतृत्व को गलत मानते है ऐसे में हमारे देश में उन पर गर्व किया जाता है . उस पर राजनीती होती है . सुभाषचंद्रबोस के पोते पड़पोते जो जर्मन में व्यापार कर रहे है जिन्होंने , समाज के लिए देश के लिए कुछ नहीं किया , जिनको आज तक कोई जानता तक नहीं आज वो देश भक्त बन रहे है . गुरु द्रोणाचार्य , भीष्मपितामह , करण के वीर , महान होते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता की वे सत्य के साथ थे . सुभाषचंद्रबोस कितने ही महान या देशभक्त हो परन्तु वो सत्य के साथ नहीं थे . आज हम जो कुछ सोच रहे है उस जमाने के लोगो ने भी कुछ सोचा होगा , जहाँ गांधी जी को करोड़ो लोगो का समर्थन था वहां उन्हें सिर्फ कुछ हजार लोगो का , कांग्रेस में उनके प्रस्ताव को कितने लोगो ने समर्थन दिया ? जब समर्थन नहीं मिला तब उन्होंने अलग पार्टी बना ली , उस पार्टी में कितने लोग थे या उनकी पार्टी को कितने लोगो का समर्थन था ? शायद उस समय के लोग जो उस समय वर्तमान थे उस समय की सचाई को हम से ज्यादा जानते थे तो क्या वो सब गलत थे और आज हम जो उस समय को सिर्फ कागजो पर देखते है ज्यादा समझदार है . हर वर्तमान अपना फैसला स्वयं करता है और वो जो फैसला करता है वही सही होता है . इसलिए आज इन सब बातो का कोई भी मतलब नहीं है .
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आमिर का बेटा और गरीब की बेटी जल्दी बड़े होते है

3 फरवरी 2015
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आमिर का बेटा और गरीब की बेटी जल्दी बड़े होते है

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सिद्धांतो की राजनीती से बिजली पानी की राजनीती

10 फरवरी 2015
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सिधान्तो की राजनीती से बिजली पानी की राजनीती. आज राजीनीति सिद्धांतो की नहीं बल्कि एक दुकानदारी है , कोई बिजली मुफ्त देने की बात कर रहा है तो कोई पानी कोई खाना देने को कह रहा है तो कोई दारू , सिद्धांत तो जैसे बीते जमानो की बात हो गई .

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तवापकी (पार्ट एक )

12 फरवरी 2015
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बाबूजी ने कहा तवापकी आ जाएगी और नन्ही बिस्तर में जाकर छिप गई और सो गई . ये तवापकी क्या है वो नहीं जानती बस मन में एक खौफ है . भगवन , अल्ला , गॉड ये सब क्या है , ये हम लोगो के दिए हुए नाम है . जैसे बाबू जी ने डराने के लिए एक नाम तवापकी बना दिया वैसे ही पंडित ,मौला , पॉप ने दुनिया को डराने के लिए ये न

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सुबह होती है शाम होती है जिंदगी यु ही तमाम होती है

19 फरवरी 2015
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सुबह होती है शाम होती है जिंदगी यु ही तमाम होती है

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दर्पण

19 फरवरी 2015
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एक समय था जब दर्पण नहीं होता था ,एक व्यक्ति को एक दर्पण मिला उसने उसे उठा लिया और उसने उसमे एक चित्र देखा जिसकी मूछेंदाढ़ी थी भयंकर आँखे थी पहले तो वो डरा फिर सोचा की यहाँ भगवान का चित्र है वो उसे घर ले आया और अपनी पत्नी को दिखाया कहा देखो ये भगवान का चित्र है . पत्नी ने देखा और कहा हा कितनी ममता है

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घर वापसी

19 फरवरी 2015
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भारतीय क्रिकेट टीम ने संघ का काम ,किया पाकिस्तान टीम की घर वापसी

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डर

25 फरवरी 2015
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मै था ,हु और रहूँगा फिर भी डर है मौत का , डर मरने का नहीं डर है तुझसे बिछड़ने का . फिर मिलेंगे या नहीं , इतना तो पता नहीं , पर तुम्हारे है और तुम्हारे ही रहेंगे . कब कहा और किस अदा से तुम मिलोगे तो नहीं जानता, बस जानता हु . जब भी मिलोगे जहाँ भी मिलोगे ऎसे ही गर्म जोश से मिलोगे ,और मेरी इस सू

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राजनीति की धुन

27 फरवरी 2015
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किसी को गाने की किसी को बजाने की किसी को किसी की किसी को किसी की धुन होती है वैसे ही आजकल समाजसेवियों को राजनीति की धुन है . निकले थे समाज सेवा को और बनगए समाज के ठेकेदार . गांधीजी के गिनाए सात पापो में एक है बिना सिद्धांत की राजनीति .

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हम से है जमाना

5 मार्च 2015
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है फ़िक्र किसी को आने वाले ज़माने का , किसी को है गम गुजरे ज़माने का . हम को तो ख़ुशी है ,हमसे है जमाना , ज़माने से हम नही, चाहे हो कोई भी जमाना . ना कल कोई साथ था , ना कल कोई होगा , आज है साथ तुम्हारा यही तो है हमारी ख़ुशी का खजाना . तुम्हारी ख़ुशी में ही ख़ुशी अपनी है , तुम्हारा गम ही तो गम हमारा है ,

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आना और फिर जाना

6 मार्च 2015
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देख कर रोता आये पास और बोले ,क्या गम है जो रो ते हो , कोई नहीं साथ अकेला हूँ , ये वज़ह क्या कम है रोने की , मै हूँ अब साथ क्या ये वज़ह कम है ना रोने की , हम ख़ुशी से जो हँसे , वो छोड़ कर चले ये कह कर , तुम हँसते बहुत हो यही वज़ह है छोड़ जाने की .

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दिल तो दीवाना है

6 मार्च 2015
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आना है उनका बहारो सा और जाना पतझड़ मिज़ाज़ है गर्मी तो एहसास सर्दी फिर भी ना जाने क्यों साथ उनका है बहार और जुदाई पतझड़ . कौन करे परवाह सर्दी गर्मी की जब उनके इश्क़ में दिल तो दीवाना है .

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शायरी

16 मार्च 2015
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उम्रे दराज़ मांग के लाये थे चार दिन , दो आरज़ू में कट गए दो इंतज़ार में .

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हम ज़माने से नहीं

18 मार्च 2015
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यू तो हम भी सताते है ज़माने को , उनके सताने के अंदाज़ निराले है . ज़हर चटाते है चाशनी में भिगोकर , और बताते खुद को बावफा है , हम ज़हर भी पीते है फिर भी , ज़माना कहता हमें बेवफा है . ज़माना उनका वो चाहे जो कहे , पर इतना तो जान ले वो भी हमसे है ज़माना ,हम ज़माने से नहीं .

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खूबसूरती

22 मार्च 2015
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खूबसूरती पोशाक की तुमसे, न की तुम्हारी पोशाक से, तुम्हारी खूबसूरती नहीं मोताज किसी पोशाक या सिंगार की , तुहारी सादगी में भी है खूबसूरती. तुमसे है बहारे , खुशबु तुमसे , नज़ारे तुमसे , फ़साने तुमसे .

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गांधी

22 मार्च 2015
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गौ हत्या पे तौबा और गांधी की हत्या पे नाज़ ये है संघ परिवार .गांधी कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार धारा है , सत्य, अहिंसा , सहनशीलता , समानता , सर्वधर्म प्रेमभाव , जिसकी हत्या रोज हो रही है , नन से बलात्कार , चर्चो की तोड़फोड़ , दंगे, धर्म परिवर्तन , गांधी के हत्यारे का सम्मान , गांधी को गाली , इस

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गीता और मै (भाग १ )

8 अप्रैल 2015
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गीता हिन्दुओ का एक पवित्र ग्रन्थ है , शायद ही कोई ऐसा हिन्दू हो जो गीता के विषय में न जानता हो . १००प्रतिशत हिन्दू इस ग्रन्थ की पूजा करते है . गीता के सार को जानने वालो की संख्या भी कम नहीं है , ९० प्रतिशत हिन्दू सड़क पर बिकने वाले पोस्टर या मंदिर , धर्मशाला , इतियादी स्थानो पर लिखे को पढ़कर गीता के स

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मीर तक़ी मीर

10 अप्रैल 2015
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लाई बहार आये , आई खिजा चले ,अपनी ख़ुशी ना आये ना अपनी ख़ुशी चले .

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मै और गीता भाग 2

13 अप्रैल 2015
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महाभारत की लड़ाई में करण एक ऐसा व्यक्ति है जो वीर भी है , महान भी है ,सत्यवादी भी है , दानवीर भी है और राजभक्त या देशभक्त भी है. उसके पास केवल एक कमी थी की भगवन श्री कृष्ण उसके साथ नहीं थे . वो पांडवो को क्या तीनो लोको तक को जीत सकता था फिर भी जब जब उसका सामना अर्जुन से हु

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अटलजी की बे अटल बाते

16 अप्रैल 2015
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अटलजी एक महान वक्ता है ये हर कोई मानता है , वे अच्छे लेखक भी है और कहानी या कहे बाते बनाना जानते है . लेकिन उनकी बातो में कितनी सच्चाई होती ये सोचने की बात है , अपने भाषणो के लिए प्रसिद्ध है , लेकिन अटलजी के कहने मात्र से वो सच्चाई नहीं बन जाती . अफगानिस्तान गजनी एक छोटा सा गांव है और वहा का एक छोटा

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सितारे जमीके

16 अप्रैल 2015
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कभी तो जमी के तारे भी होंगे आंसमा के सितारे कभी तो आंसमा भी ढूंढ लेगा जमी के तारे . बदलेगा जमाना बदलेगी फिजायें , बदलेंगे नसीब हमारे तुम्हारे . ये गया वक्त होगा , वो नया वक्त , जब हम भी होंगे आसमान के सितारे .

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पी के

17 अप्रैल 2015
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कल दारू पी के देखि पिक्चर पी के देखकर लगा डाइरेक्टर ने बनाई ये पिक्चर दारू पी के . दो अच्छे कहानी के प्लॉटों की कर दी ----------? इसे कहते है गु ड़ गोबर एक करना . ( पूरा पढ़ने के लिए करे इंतज़ार )

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पी के 2

17 अप्रैल 2015
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कल दारू पी के देखि पिक्चर पी के लगा देखकर डाइरेक्टर ने बनाई ये पिक्चर दारू पी के . दो अच्छे कहानी के प्लॉटों की कर दी ----------? इसे कहते है गु ड़ गोबर एक करना . ( पूरा पढ़ने के लिए करे इंतज़ार )

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एक और महाभारत भाग 2

19 अप्रैल 2015
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दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति पर जापान ,जर्मन और उनके साथ के सभी को मुजरिम करार कर दिया गया था और उसके लिए विश्व स्तर पर कोर्ट बनाई गई जिसके एक जज भारतीय थे . बहुत सारे लोगो ने आत्महत्या कर ली और बाकि सबको विश्व अदालत में पेश होना पड़ा . उन सब पर मुकदमा चला . जापान के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री आबे के

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गीता और मै (भाग २ )

21 अप्रैल 2015
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गीता की पृष्ठ भूमि है महाभारत का युद्ध . क्या कृष्ण भगवान ये ज्ञान युद्ध से पहले अर्जुन को नहीं दे सकते थे या किसी और समय ? क्यों श्री कृष्ण भगवान ने युद्ध का समय चुना ? युद्ध के मैदान में अर्जुन के अंदर इच्छा जागी की युद्ध से पहले दोनों और की सेनाओ को देखने की यही उचित समय बना अर्जुन को यह ज्ञान दे

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एक और महाभारत ( भाग ३)

23 अप्रैल 2015
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गीता में श्री कृष्ण भगवान ने कहा है की व्यक्ति के वश में कर्म करना तो है पर उस कर्म का फल नहीं इसलिए जब अर्जुन ने सवाल किया की हम यह भी नहीं जानते की हम जीतेंगे या नहीं तो फिर ऐसे युद्ध का क्या लाभ , तब श्री कृष्ण ने यही कहा था की तू केवल कर्म कर और फल की इच्छ

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सत्य या विवाद

2 अगस्त 2015
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सत्य कहने से यदि विवाद पैदा होता है तो क्या सत्य से मुंह मोड़ लेना चाहिए , विवादों से बचाना अच्छा है पर क्या सत्य को नकार कर ? यदि मेरे सत्य बोलने से विवाद पैदा होता है तो भी मै सत्य ही बोलूंगा . जिनेह सत्य कहने का रोग है वे जरूर सहमति जताए और हो जाने दे विवाद . सत्य और धर्म को यदि एक माने तो कृष्ण न

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उर्दू भाषा की उत्पति (भाग एक )

3 अगस्त 2015
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कोई भी भाषा किसी भी धर्म से नहीं जोड़ी जा सकती . न तो संस्कृत को हिन्दू धर्म से जोड़ा जा सकता है ना ही उर्दू को इस्लाम से . भाषा सिर्फ अभिव्यक्ति का साधन है . भाषा किसी विशेष स्थान से अवश्य जुडी हुई है . संस्कृत भारत से तो इंग्लिश इंग्लैंड से . उर्दू को पाकिस्तान से नहीं जोड़ा जा सकता . पाकिस्तान ने उर

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अपरिपक्व सोच

14 सितम्बर 2015
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काम करने के दो तरीके होते है , वैसे ही बात करने के . परिपक्व और अपरिपक्व . मेक इन इण्डिया चीनी नकल है , मेड इन चाइना की जिसमे अपरिपक्वता है . नेहरू जी ने आज़ादी के बाद कहा था आधुनिक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण , जो एक परिपक्व सोच का प्रतिक है .

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