shabd-logo

common.aboutWriter

गीताश्री लेखक-पत्रकार गीताश्री का जन्म 31 दिसम्बर, 1965 को मुजफ़्फ़रपुर, बिहार में हुआ। अब तक सात कहानी-संग्रह, चार उपन्यास और स्त्री-विमर्श पर चार शोध पुस्तकें प्रकाशित। कई चर्चित पुस्तकों का सम्पादन-संयोजन। वर्ष 2008-09 में पत्रकारिता का सर्वोच्च पुरस्कार ‘रामनाथ गोयनका बेस्ट हिन्दी जर्नलिस्ट ऑफ़ द इयर’ समेत अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त। 1991 से 2017 तक सक्रिय पत्रकारिता के बाद फ़िलहाल स्वतंत्र पत्रकारिता और लेखन। औरत की आजादी और अस्मिता की पक्षधर गीताश्री के लेखन की शुरुआत कॉलेज के दिनों से ही हो गई थी और वह रचनात्मक सफर पिछले कई सालों से जारी है। साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में दस्तक। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया में काम करने का लम्बा अनुभव। देश की सभी महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में रिपोर्ताज और यात्रा-वृत्तान्त प्रकाशित, जो कहीं न कहीं से औरत की पहचान का आईना बने। एक पत्रकार और संस्कृतिकर्मी के रूप में ईरान, अमेरिका, चीन, बेल्जियम, जर्मनी, ब्रिटेन, तिब्बत और प्रमुख खाड़ी देशों के अलावा सीरिया जैसे देशों की यात्रा। देश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों की ओर से फेलोशिप, जिनमें नेशनल फाउंडेशन फॉर मीडिया फेलोशिप (2008), इनफोचेंज मीडिया फेलोशिप (2008), नेशनल फाउंडेशन फॉर मीडिया (2010) और सेंटर फॉर सांइस एंड इनवायरमेंट (2010) प्रमुख हैं। राजस्थान के बंधुआ मजदूरों के दर्द को शब्द देने के लिए ग्रासरूट फीचर अवार्ड, औरत की अस्मिता पर लेखन के लिए न्यूजपेपर एसोसिएशन और मातृश्री अवार्ड। वर्ष 2008-09 में पत्रकारिता का सर्वोच्च पुरस्कार रामनाथ गोयनका, बेस्ट हिंदी जर्नलिस्ट ऑफ द इयर समेत अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त। कई पत्र-पत्रिकाओं की कॉलमिस्ट रहीं और सिनेमा और कला के लिए भी लिखा। अब तक चार कहानी-संग्रह, एक उपन्यास। स्त्री-विमर्श पर चार शोध किताबें प्

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

क़ैद बाहर

क़ैद बाहर

प्रेमी जहाँ पति मैटेरियल में बदलने लगता है और प्यार विवाह नाम के नरक में, क़ैद की दीवारें वहीं उठना शुरू होती हैं, जिनसे निकलने का संघर्ष इस उपन्यास की स्त्रियाँ कर रही हैं। लेकिन इस मुक्ति का निर्वाह क्या इतना आसान है? प्रेम से रहित हो जाना और अपने

2 common.readCount
2 common.articles
common.personBought

प्रिंट बुक:

299/-

क़ैद बाहर

क़ैद बाहर

प्रेमी जहाँ पति मैटेरियल में बदलने लगता है और प्यार विवाह नाम के नरक में, क़ैद की दीवारें वहीं उठना शुरू होती हैं, जिनसे निकलने का संघर्ष इस उपन्यास की स्त्रियाँ कर रही हैं। लेकिन इस मुक्ति का निर्वाह क्या इतना आसान है? प्रेम से रहित हो जाना और अपने

2 common.readCount
2 common.articles
common.personBought

प्रिंट बुक:

299/-

common.kelekh

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए