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गुलाबो एक नई दास्तां

Arsima Arif

4 अध्याय
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भाग (01) ____________ यह कहानी एक मासूम जान की है। जिसकी उम्र महेज 16 है। जिसका नाम अंकिता लोखंडे है । इस नन्ही सी जान ने अपनी इतनी सी उम्र में बहुत कुछ देख लिया है , लेकिन इसके आगे की दस्ता मैं आपको सुनने वाली हूं । यह कहानी एक कोठे से शुरू होती है । जहां आज की शाम सजी है । दुनिया भर की हैवानियत भी देखने को मिल रही है । कई मासूम चेहरे भी यहां हैं जिन्हें देख खुद से सवाल करने का जी चाह रहा है कि, "क्या है इनका गुनाह की इस नन्ही से उम्र में यहां हैं ? इस उम्र में तो बच्चे अपने गुड्डे गुडियो के साथ खेलते हैं ! लेकिन यहां तो इनके ...... उन्ही सभी मासूमियत के बीच एक और मासूम बच्ची थी। जो कोई और नही हमारी अंकिता है। जिसे देख ले कोई एक नज़र तो उसकी नज़र कहीं और देखना न चाहे । उसके रेशमी घने बाल जो वहां के कैद से अंजान इधर उधर आवारा की तरह उड़ रहे हैं , उसकी वह हल्की भूरी झील सी आंखे जिनमे अलग ही चमक दिख रही जिसे देख ऐसा लग रहा जैसे वह इस दुनिया से अंजान है जहां वह रह रही है । उसके वह गुलाबी होंठ जिसे देख कर लग रहा वह बहुत कुछ पूछना और कहना चाहती है मगर वह खामोश है । उसे देख यह कोई नही कह सकता की वह किस जहन्नम में है । और इस सब के बाद इस जहन्नम को चलाने वाली सैतान जो औरत के नाम पर कलंक है। जिसका नाम मलिका है लेकिन सभी इसे अम्मा जान कहते हैं । इसके चेहरे पर रहम करने वाले कोई भाव नहीं इसे देख अच्छे अच्छे डरते हैं । लेकिन यह अपनी पूरी मंडली में सिर्फ अंकिता को बहुत चाहती थी । मलिका उसे सबसे अपनी बेटी बताती है । उसे हर लड़कियों से दूर रख उसका अलग ख्याल रखती है । यहां तक की उसे पढ़ने भी भेजती है । यह सब मलिका इस लिए नही कर रही की वह उसे चाहती है वह सिर्फ उसके जिस्म और खूबसूरती को चाहती है । इसी लिए वह उसे यह सब कर अपने जाल में फंसा रही ताकी आगे चल कर वह उससे अच्छी रकम कमा सके। । शाम का वक्त , कोठे के चारो तरफ रोशनी ही रोशनी है। गाने फुल वाल्यूम में बज रहे हैं । (छोड़ छाड़ के अपने सलीम की गली अनार कली डिस्को चली । )................. सभी बड़े बड़े धन्ना सेठ मुजरा कर रही लडकियो पर पैसे की बारिश कर रहे हैं । कभी उनके पास जा कर नाच रहे। नशे सब डूबे पड़े हैं । वहां का माहौल बत से बत्तर हो गया ।  

gulabo ek nai dastan

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