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गुलाबो एक नई दास्तां

19 अक्टूबर 2021

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भाग ( 05)  

सब्बो और सम्मो हंसते हुए अंकिता के रूम में आती हैं ।
अब आगे ।

अंकिता हंसते हुए उन दोनो की आवाज सुन उठ बैठती है और सवालिया नजरो से देखने लगती है ।

तभी दोनो उसके पास बैठ कहती हैं," ऐसे क्या देख रही छोरी जल्दी जल्दी तैयार हो जा ।"

अंकिता सवालिया नजरो से देखते हुए पूछती हैं , आप लोग यहां और किस लिए तैयार होना है मुझे ।

सब्बो अंकिता की तरफ इशारा करते हुए कहती है क्या तुम्हे नही पता क्या आज से यह कली खिल गई है। एक महेकता फूल बन गई है ।

अंकिता फिर सवाल कर देती है जी मतलब हम समझे नही सब्बो से पूछती है ?
तभी सम्मो कहती है," शुरू में किसी को समझ नही आता फिर तो यह आदत बन जाती है मानो तो मजबूरी हो ।"और उदास चेहरे से देखती है अंकिता को ।

तभी सब्बो बात काटते हुए कहती है ," यह सब छोड़ो अम्मा जान ने तुम्हे तैयार होने बोला है ज्यादा सवाल जवाब न करो।

अंकिता, मगर क्यू दीदी ?

सब्बो = आज तुम्हारा नाम करन है । चलो भी अब नही अम्मा जान हमे ही डांटेगी ।

अंकिता उठते हुए मगर मेरा नाम तो है फिर क्यूं 

दोनो लड़कियां उसे शीशे के सामने बैठा कर कहती है यह यहां की रस्म है । 18 साल बाद नाम करन करने की ।


दोनो लड़कियां उसे तैयार कर आंगन में लाती हैं। अंकिता पूरे लाल जोड़े थी एक दम दुलहन की तरह  ।
अंकिता को बैठा मलिका उसकी बलाए लेते हुए कहती है ,"किसी की नजर न लगे । "

और नाम करन की प्रकिया चालू की गई सारी विधि होने के बाद मलिका अंकिता को तिलक लगाते हुए उसका नाम बुलंद आवाज में कहती है । गुलाबो आज से तू अंकिता नही गुलाबो है अंकिता को बताती है ।

और अंकिता को सामने बैठा कर बहुत सालों के बाद मलिका फिर से झूम झूम के नाचती है की उसके घुंघरू तक टूट जाते हैं ।

अब सारी रश्म हो गई मलिका अंकिता को उसके रूम में जाने को बोलती है और उसकी तरफ देखते हुए कहती है ," यह है गुलाबो जो मेरे लिए किसी खजाने से कम नही। बहुत इंतेजर
 कराया बस अब नही कल से सारा सब्र खत्म ।"और एक खतरनाक मुस्कान के साथ हे लाला कल की क्या तैयारी हो गई ।

अब शुरू होगी गुलाबो की नई दास्तां।🙏
Anita Singh

Anita Singh

बहुत खूब

28 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

भहुत खुब

28 दिसम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बहुत खूबसूरत रचना लिखी है आपने।

19 अक्टूबर 2021

Arsima Arif

Arsima Arif

19 अक्टूबर 2021

जी शुक्रिया

4
रचनाएँ
गुलाबो एक नई दास्तां
5.0
भाग (01) ____________ यह कहानी एक मासूम जान की है। जिसकी उम्र महेज 16 है। जिसका नाम अंकिता लोखंडे है । इस नन्ही सी जान ने अपनी इतनी सी उम्र में बहुत कुछ देख लिया है , लेकिन इसके आगे की दस्ता मैं आपको सुनने वाली हूं । यह कहानी एक कोठे से शुरू होती है । जहां आज की शाम सजी है । दुनिया भर की हैवानियत भी देखने को मिल रही है । कई मासूम चेहरे भी यहां हैं जिन्हें देख खुद से सवाल करने का जी चाह रहा है कि, "क्या है इनका गुनाह की इस नन्ही से उम्र में यहां हैं ? इस उम्र में तो बच्चे अपने गुड्डे गुडियो के साथ खेलते हैं ! लेकिन यहां तो इनके ...... उन्ही सभी मासूमियत के बीच एक और मासूम बच्ची थी। जो कोई और नही हमारी अंकिता है। जिसे देख ले कोई एक नज़र तो उसकी नज़र कहीं और देखना न चाहे । उसके रेशमी घने बाल जो वहां के कैद से अंजान इधर उधर आवारा की तरह उड़ रहे हैं , उसकी वह हल्की भूरी झील सी आंखे जिनमे अलग ही चमक दिख रही जिसे देख ऐसा लग रहा जैसे वह इस दुनिया से अंजान है जहां वह रह रही है । उसके वह गुलाबी होंठ जिसे देख कर लग रहा वह बहुत कुछ पूछना और कहना चाहती है मगर वह खामोश है । उसे देख यह कोई नही कह सकता की वह किस जहन्नम में है । और इस सब के बाद इस जहन्नम को चलाने वाली सैतान जो औरत के नाम पर कलंक है। जिसका नाम मलिका है लेकिन सभी इसे अम्मा जान कहते हैं । इसके चेहरे पर रहम करने वाले कोई भाव नहीं इसे देख अच्छे अच्छे डरते हैं । लेकिन यह अपनी पूरी मंडली में सिर्फ अंकिता को बहुत चाहती थी । मलिका उसे सबसे अपनी बेटी बताती है । उसे हर लड़कियों से दूर रख उसका अलग ख्याल रखती है । यहां तक की उसे पढ़ने भी भेजती है । यह सब मलिका इस लिए नही कर रही की वह उसे चाहती है वह सिर्फ उसके जिस्म और खूबसूरती को चाहती है । इसी लिए वह उसे यह सब कर अपने जाल में फंसा रही ताकी आगे चल कर वह उससे अच्छी रकम कमा सके। । शाम का वक्त , कोठे के चारो तरफ रोशनी ही रोशनी है। गाने फुल वाल्यूम में बज रहे हैं । (छोड़ छाड़ के अपने सलीम की गली अनार कली डिस्को चली । )................. सभी बड़े बड़े धन्ना सेठ मुजरा कर रही लडकियो पर पैसे की बारिश कर रहे हैं । कभी उनके पास जा कर नाच रहे। नशे सब डूबे पड़े हैं । वहां का माहौल बत से बत्तर हो गया ।

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