भाग ( 05)
सब्बो और सम्मो हंसते हुए अंकिता के रूम में आती हैं ।
अब आगे ।
अंकिता हंसते हुए उन दोनो की आवाज सुन उठ बैठती है और सवालिया नजरो से देखने लगती है ।
तभी दोनो उसके पास बैठ कहती हैं," ऐसे क्या देख रही छोरी जल्दी जल्दी तैयार हो जा ।"
अंकिता सवालिया नजरो से देखते हुए पूछती हैं , आप लोग यहां और किस लिए तैयार होना है मुझे ।
सब्बो अंकिता की तरफ इशारा करते हुए कहती है क्या तुम्हे नही पता क्या आज से यह कली खिल गई है। एक महेकता फूल बन गई है ।
अंकिता फिर सवाल कर देती है जी मतलब हम समझे नही सब्बो से पूछती है ?
तभी सम्मो कहती है," शुरू में किसी को समझ नही आता फिर तो यह आदत बन जाती है मानो तो मजबूरी हो ।"और उदास चेहरे से देखती है अंकिता को ।
तभी सब्बो बात काटते हुए कहती है ," यह सब छोड़ो अम्मा जान ने तुम्हे तैयार होने बोला है ज्यादा सवाल जवाब न करो।
अंकिता, मगर क्यू दीदी ?
सब्बो = आज तुम्हारा नाम करन है । चलो भी अब नही अम्मा जान हमे ही डांटेगी ।
अंकिता उठते हुए मगर मेरा नाम तो है फिर क्यूं
दोनो लड़कियां उसे शीशे के सामने बैठा कर कहती है यह यहां की रस्म है । 18 साल बाद नाम करन करने की ।
दोनो लड़कियां उसे तैयार कर आंगन में लाती हैं। अंकिता पूरे लाल जोड़े थी एक दम दुलहन की तरह ।
अंकिता को बैठा मलिका उसकी बलाए लेते हुए कहती है ,"किसी की नजर न लगे । "
और नाम करन की प्रकिया चालू की गई सारी विधि होने के बाद मलिका अंकिता को तिलक लगाते हुए उसका नाम बुलंद आवाज में कहती है । गुलाबो आज से तू अंकिता नही गुलाबो है अंकिता को बताती है ।
और अंकिता को सामने बैठा कर बहुत सालों के बाद मलिका फिर से झूम झूम के नाचती है की उसके घुंघरू तक टूट जाते हैं ।
अब सारी रश्म हो गई मलिका अंकिता को उसके रूम में जाने को बोलती है और उसकी तरफ देखते हुए कहती है ," यह है गुलाबो जो मेरे लिए किसी खजाने से कम नही। बहुत इंतेजर
कराया बस अब नही कल से सारा सब्र खत्म ।"और एक खतरनाक मुस्कान के साथ हे लाला कल की क्या तैयारी हो गई ।
अब शुरू होगी गुलाबो की नई दास्तां।🙏