भाग (02)
वहां का माहौल बत से बत्तर हो ते जा रहा था । जिसे अंकिता खामोशी से मलिका के पास बैठे बड़े गौर से देख रही होती है । जिसे देखते देखते उसके मन में सवाल आता है। जिसे वह मलिका से पूंछ पड़ती है , अम्मा जान यह लोग दीदी लोगों को कहां ले जा रहे हैं । उसने बड़े ही मासूमियत से पूंछा था ।
यह सवाल पूछने पर मालिक उसकी तरफ तिरछी मुस्कान देते हुए कहती है ," तू अभी छोटी है जब तू 18साल की हो जाएगी तो सब समझ जाएगी ।"
अंकिता उसकी बात पर कोई भी और सवाल किए बिना अच्छा अम्मा जान कहके वही पे खड़ी अपनी हम उम्र की लड़कियों से बात करने लगती है ।
तभी एक शख्स नशे में चूर मलिका के पास आकर कहता है , " अम्मा जान कब तक तड़पाएगी क्या मैं आज उस फल को चख सकता हूं। अंकिता की तरफ इशारा करते हुए कहता है।
मालिक बड़े घमंड से अंकिता की तरफ देखते हुए उस शख्स की तरफ देख उठती है और साइड में पान की पिचकारी मरते हुए कहती है ," अबे साले सब्र नही हो रहा । उस फल को चखने के लिए अभी दो साल और लगेंगे तो जा के फिलहाल के लिए पुराने फल में मुंह मार ।" और उसे धक्का देते हुए वहां से चली जाती है ।
अगली सुबह,
अंकिता उठ कर अपने स्कूल के लिए तैयार हो कर बाहर आती हैैतो देखती है बाहर आंगन में भीड़़ इकठ्ठा जहां एक लड़की अपने आजादी की दुहाई मांग रही होती है मलिका से ।
जिसे देख अंकिता हैरान होते हुए मन में ही सोचती है ,"यह दीदी ऐसी बाते क्यूं कर रही हैं अम्मा जान तो सब का कितन ख्याल रखती हैं ।"
अंकिता अपने ख्यालों में ही थी की पीछे से उसे लाला आवाज देता है अंकिता स्कूल चल यह सब तेरे मतलब की चीज नही है ।(लाला मलिका का सबसे विश्वसनीय आदमी था )
अंकिता उसकी तरफ देखते हुए जी लाला भईया ।
लाला गुस्से में ही ए लड़की हजार बार मना किया है मुझे भैया ना कहा कर ।
अंकिता मसूमिता से कहती है आप मुझसे बड़े है तो भईया ही कहूंगी न ।
लाला चिड़चिड़े अंदाज में चल तेजी चल और मन में बड़बड़ाते हुए कहता है। यह मलिका ने इस पर दो साल का टैग लगा दिया है नही इसकी सारी अकल ठिकाने लगा देता अब तक ।
अंकिता अपने स्कूल पहुंच जाती है जहां वह एक दम अकेली होती है उसका वहां कोई दोस्त नही होता है । वह जिससे भी बात करने की कोशिश करती सभी उसकी बात काट कर चले जाते थे । अंकिता को अब यह अकेला पन बहुत सताने लगा था ।
वह घर जाके मालिक के कमरे में जाती है,"अम्मा जान ।" कहती है ।
मालिक जो खुद को शीशे में देख सवार रही थी। अंकिता की आवाज सुन मुश्कुराते हुए कहती है आजा अच्छा हुआ आ गई चल मेरे बाल बनाने में मदद कर।
अंकिता उसके पास जाकर उसके बाल बनाने लगती है और बार बार कुछ कहना चाहती है पर चुप हो जाती उसकी हिम्मत न हो रही की अम्मा जान से कोई सवाल करे! लेकिन मलिका उसे शीशे में देख भाप लेती है की वह कुछ कहना चाहती है।
मलिका उसका हांथ पकड़ कर क्या हुआ अंकिता बड़ी परेशान दिख रही है ।
अंकिता उदासी के साथ जी अम्मा ।
मालिका उसके चहरे को ऊपर करते हुए क्या हुआ किसी ने कुछ कहा क्या ?
अंकिता आंखो में आंसू लिए नहीं अम्मा जान कोई कुछ कहता ही तो नही है । स्कूल में कोई भी मुझसे बात नही करता सब मुझसे दूर दूर भागते है। मेरा तो कोई दोस्त भी नही है । ऐसा क्यूं अम्मा ? सवाल करती है ।
मलिका उसके कंधे को कस के पकड़ समझती है ," देख हमारी दुनिया ऐसी ही है । यहां लोग दुनिया भर का सुकून लेने आते हैं लेकिन अगर हम उनकी दुनिया में गए तो वह हमे जीने नही देते। इसलिए तू उनसे दूर ही रहे समझी ।
अंकिता रोते हुए ठीक है फिर मैं इस दुनिया में नही रहना चाहती। रोते हुए कमरे से बाहर चली
जाती है ।
मलिका उसे जाते देख रोकती भी नही ।