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गुलाबो एक नई दास्तां

17 अक्टूबर 2021

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                            भाग (02)

वहां का माहौल बत से बत्तर हो ते जा रहा था । जिसे अंकिता खामोशी से मलिका के पास बैठे बड़े गौर से देख रही होती है । जिसे देखते देखते उसके मन में सवाल आता है। जिसे वह मलिका से पूंछ पड़ती है , अम्मा जान यह लोग दीदी लोगों को कहां ले जा रहे हैं । उसने बड़े ही मासूमियत से पूंछा था ।
 
यह सवाल पूछने पर मालिक उसकी तरफ तिरछी मुस्कान देते हुए कहती है ," तू अभी छोटी है जब तू 18साल की हो जाएगी तो सब समझ जाएगी ।"

अंकिता उसकी बात पर कोई भी और सवाल किए बिना अच्छा अम्मा जान कहके वही पे खड़ी अपनी हम उम्र की लड़कियों से बात करने लगती है ।

तभी एक शख्स नशे में चूर मलिका के पास आकर कहता है , " अम्मा जान कब तक तड़पाएगी क्या मैं आज उस फल को चख सकता हूं।  अंकिता की तरफ इशारा करते हुए कहता है।

मालिक बड़े घमंड से अंकिता की तरफ देखते हुए उस शख्स की तरफ देख उठती है और साइड में पान की पिचकारी मरते हुए कहती है ," अबे साले सब्र नही हो रहा । उस फल को चखने के लिए अभी दो साल और लगेंगे तो जा के फिलहाल के लिए पुराने फल में मुंह मार ।" और उसे धक्का देते हुए वहां से चली जाती है । 

अगली सुबह,
                    अंकिता उठ कर अपने स्कूल के लिए तैयार हो कर बाहर आती हैैतो देखती है बाहर आंगन में भीड़़ इकठ्ठा जहां एक लड़की अपने आजादी की दुहाई मांग रही होती है मलिका से ।
जिसे देख अंकिता हैरान होते  हुए मन में ही सोचती है ,"यह दीदी ऐसी बाते क्यूं कर रही हैं अम्मा जान तो सब का कितन ख्याल रखती हैं ।"
अंकिता अपने ख्यालों में ही थी की पीछे से उसे लाला आवाज देता है अंकिता स्कूल चल यह सब तेरे मतलब की चीज नही है ।(लाला मलिका का सबसे विश्वसनीय आदमी था )

अंकिता उसकी तरफ देखते हुए जी लाला भईया ।
लाला गुस्से में ही ए लड़की हजार बार मना किया है मुझे भैया ना कहा कर ।

अंकिता मसूमिता से कहती है आप मुझसे बड़े है तो भईया ही कहूंगी न ।

लाला चिड़चिड़े अंदाज में चल तेजी चल और मन में बड़बड़ाते हुए कहता है। यह मलिका ने इस पर दो साल का टैग लगा दिया है नही इसकी सारी अकल ठिकाने लगा देता अब तक ।

अंकिता अपने स्कूल पहुंच जाती है जहां वह एक दम अकेली होती है उसका वहां कोई दोस्त नही होता है । वह जिससे भी बात करने की कोशिश करती सभी उसकी बात काट कर चले जाते थे । अंकिता को अब यह अकेला पन बहुत सताने लगा था ।

वह घर जाके मालिक के कमरे में जाती है,"अम्मा जान ।" कहती है ।
मालिक जो खुद को शीशे में देख सवार रही थी। अंकिता की आवाज सुन मुश्कुराते हुए कहती है आजा अच्छा हुआ आ गई चल मेरे बाल बनाने में मदद कर।
अंकिता उसके पास जाकर उसके बाल बनाने लगती है और बार बार कुछ कहना चाहती है पर चुप हो जाती उसकी हिम्मत न हो रही की अम्मा जान से कोई सवाल करे! लेकिन मलिका उसे शीशे में देख भाप लेती है की वह कुछ कहना चाहती है। 

मलिका उसका हांथ पकड़ कर क्या हुआ अंकिता बड़ी परेशान दिख रही है ।
अंकिता उदासी के साथ जी अम्मा ।
मालिका उसके चहरे को ऊपर करते हुए क्या हुआ किसी ने कुछ कहा क्या ?

अंकिता आंखो में आंसू लिए नहीं अम्मा जान कोई कुछ कहता ही तो नही है । स्कूल में कोई भी मुझसे बात नही करता सब मुझसे दूर दूर भागते है। मेरा तो कोई दोस्त भी नही है । ऐसा क्यूं अम्मा ? सवाल करती है ।

मलिका उसके कंधे को कस के पकड़ समझती है ," देख हमारी दुनिया ऐसी ही है । यहां लोग दुनिया भर का सुकून लेने आते हैं लेकिन अगर हम उनकी दुनिया में गए तो वह हमे जीने नही देते। इसलिए तू उनसे दूर ही रहे समझी ।
अंकिता रोते हुए ठीक है फिर मैं इस दुनिया में नही रहना चाहती। रोते हुए कमरे से बाहर चली
जाती है ।
मलिका उसे जाते देख रोकती भी नही ।

2 जनवरी 2022

Anita Singh

Anita Singh

बढ़िय भाग

28 दिसम्बर 2021

20 अक्टूबर 2021

4
रचनाएँ
गुलाबो एक नई दास्तां
5.0
भाग (01) ____________ यह कहानी एक मासूम जान की है। जिसकी उम्र महेज 16 है। जिसका नाम अंकिता लोखंडे है । इस नन्ही सी जान ने अपनी इतनी सी उम्र में बहुत कुछ देख लिया है , लेकिन इसके आगे की दस्ता मैं आपको सुनने वाली हूं । यह कहानी एक कोठे से शुरू होती है । जहां आज की शाम सजी है । दुनिया भर की हैवानियत भी देखने को मिल रही है । कई मासूम चेहरे भी यहां हैं जिन्हें देख खुद से सवाल करने का जी चाह रहा है कि, "क्या है इनका गुनाह की इस नन्ही से उम्र में यहां हैं ? इस उम्र में तो बच्चे अपने गुड्डे गुडियो के साथ खेलते हैं ! लेकिन यहां तो इनके ...... उन्ही सभी मासूमियत के बीच एक और मासूम बच्ची थी। जो कोई और नही हमारी अंकिता है। जिसे देख ले कोई एक नज़र तो उसकी नज़र कहीं और देखना न चाहे । उसके रेशमी घने बाल जो वहां के कैद से अंजान इधर उधर आवारा की तरह उड़ रहे हैं , उसकी वह हल्की भूरी झील सी आंखे जिनमे अलग ही चमक दिख रही जिसे देख ऐसा लग रहा जैसे वह इस दुनिया से अंजान है जहां वह रह रही है । उसके वह गुलाबी होंठ जिसे देख कर लग रहा वह बहुत कुछ पूछना और कहना चाहती है मगर वह खामोश है । उसे देख यह कोई नही कह सकता की वह किस जहन्नम में है । और इस सब के बाद इस जहन्नम को चलाने वाली सैतान जो औरत के नाम पर कलंक है। जिसका नाम मलिका है लेकिन सभी इसे अम्मा जान कहते हैं । इसके चेहरे पर रहम करने वाले कोई भाव नहीं इसे देख अच्छे अच्छे डरते हैं । लेकिन यह अपनी पूरी मंडली में सिर्फ अंकिता को बहुत चाहती थी । मलिका उसे सबसे अपनी बेटी बताती है । उसे हर लड़कियों से दूर रख उसका अलग ख्याल रखती है । यहां तक की उसे पढ़ने भी भेजती है । यह सब मलिका इस लिए नही कर रही की वह उसे चाहती है वह सिर्फ उसके जिस्म और खूबसूरती को चाहती है । इसी लिए वह उसे यह सब कर अपने जाल में फंसा रही ताकी आगे चल कर वह उससे अच्छी रकम कमा सके। । शाम का वक्त , कोठे के चारो तरफ रोशनी ही रोशनी है। गाने फुल वाल्यूम में बज रहे हैं । (छोड़ छाड़ के अपने सलीम की गली अनार कली डिस्को चली । )................. सभी बड़े बड़े धन्ना सेठ मुजरा कर रही लडकियो पर पैसे की बारिश कर रहे हैं । कभी उनके पास जा कर नाच रहे। नशे सब डूबे पड़े हैं । वहां का माहौल बत से बत्तर हो गया ।

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