भाग (03)
अंकिता को मलिका के कमरे से रोते जाते देख लाला फौरन मलिका के पास आता है। और पूछता है ," इसे क्या हुआ ?"
मलिका उसकी बात काटते हुए कहती है ," रज्जो का क्या हुआ मानी की नही मानी ? सुबह से परेशान कर रखा था । "
लाला उसकी तरफ एक सैतनी मुश्कुराहट देते हुए कहता है ," कैसे नही मानेगी , मैने तो डॉक्टर से बात की और काम भी हो गया है ।"
मलिका उसके पीठ को थपथपते हुए कहती है," मुझे पता था यह काम तेरे सिवा कोई नही कर सकता सब बास ।"
और वहां से जाते जाते कहती है," आज की शाम जो लड़कियां सजाने वाली हैं। वह तैयार हैं न ।
लाला पूरे सुकून के साथ फिक्र न कर मलिका सब तैयार हैं ।
मलिका गुस्से मे पलटती है अबे साले औकात भूल गया क्या उसका कालर पकड़ते हुए मैने तुझे ज्यादा सर चढ़ा लिया है । जो तू मेरा नाम भी लेने लगा ।
लाला घबराहट और डर के साथ अम्मा जान माफी गलती से निकल गया था।
मलिका उसको लात मरते हुए साला मलिका की बराबरी कर रहा ।
और चली जाती है ।
इधर लाला गुस्से में लाला पीला होते मलिका को जाते देखे रहा था ।
उधर अंकिता कोठे की छत पर खुले आसमान के नीचे तारो के निहारते हुए रोए जा रही थी। और अपनी सारी बातें तारों से को देखते कह रही थी जैसे वह उससे बाते कर रहे हों ।
"मम्मा पापा आप लोग कहां हैं ? मुझे आपकी बहुत याद आती है । अब तो वक्त के साथ साथ आपकी सारी यादें भी धुंधल हो रही हैं । मैं थी ही कितनी बड़ी जो ज्यादा कुछ याद हो की मैं आप को ढूंढ सकूं मैं तो आपको पहेचान न पाऊं अगर कभी सामने भी आ गए आप लोग तो ।
अंकिता रोते रोते इतना बेहाल हो जाती है की वही छत पर ही लेट कर आंख बंद कर सब सोचने लगती है ।
फ्लैस बैक ,
मेले में खूब भीड़ होती हैं।
अंकिता अपने मम्मा पापा के साथ वह भी मेला देखने गई थी । जहां वह लोग बहुत मस्ती करते हैं झूला झूलते हैं । वह लोग बहुत खुस होते हैं खास तौर के अंकिता ।
लेकिन एक वक्त ऐसा आता है जिसमे अंकिता की जिंदगी ही बदल जाती है । वह तीनों सर्कस देखने जाते हैं। जहां वह लोग उसी में खो जाते हैं जिसकी वजह से अंकिता का हांथ उसके पाप की उंगलियों से छूट जाता है । वह उनसे बिछड़ रोने लगती है मम्मा पापा, मम्मा पापा ..........
तभी कोई पीछे से आकर उसका मुंह दबा कर ले जाता है ।
फ्लैस बैक एंड
तभी अंकिता अपने सपने से बाहर आती है । जो की बिलकुल पसीन पसीना थी । वह उभर उभर के सांसे लेने लगती है जैसे कोई सच में उसक मुंह दबाया हो । नीद से बाहर आते ही अंकिता खुद से सवाल करती है," क्या मैं सपना देख रही थी और सारी रात यही सोई रही ?"
अंकिता अपनी आंखे मीजते हुए नीचे आती है। जहां वह देखती है की घर पर इतना गहमा गहमी है पुलिस भी आई हुई है । जिसे देख वह घबरा जाती है और एक साइड में खड़ी लड़की से पोंचती है क्या हुआ यहां आज ?
लड़की रोते हुए उसके कान में में फुसफुसाते हुए कहती है ," अपनी रज्जो ने फांसी लगा कर आत्म हत्या कर ली है ।"
अंकिता इतना सुनती है की उसके पैर तले से जमीन खिसक जाती है उसके आंखो के आंसू गाल तक आ पहुंचे थे । उसे माजरा कुछ समझ नही आ आ रहा था । वह सारा माजरा जाने अम्मा जान के पास जाती है जो अपने कमरे में एक थानेदार से बात चीत कर रही होती हैं । जिनकी बात चीत सुन अंकिता वहीं बाहर रुक कर बाते सुनने लगती है ।
जिसमे थानेदार कह रहा होता है ," अरे अम्मा जान किस बात का डर है आपको चिंता ना करे यह शेरा सिंह कुछ नही होने देगा यहां तक की फाइल क्लोज कर दूंगा ! लेकिन इसके बदले मुझे क्या मिलेगा बड़े ही हैवानियत भरे अंदाज से कहता है ।
मलिका मुस्कुराते हुए जो भी चाहिए तुझे मुझे अच्छे से पता है । लेकिन कुछ दिन सब्र कर और अगर तुझे जल्दी है तो कोई खिली काली को ले जा वह भी फ्री में चाहे जब तक ।
यह सब सुन अंकिता सोच में पड़ जाती है और वापस आ जाती है ।