इतनी धीमी की मुझे यकीन न हो पाई
तंग करते थे तो एक आवाज़ में पापा को बुला लेती
और आज तुम उस घर में गई तो इतना क्यों बदल गई...
कुछ नहीं कैसा है तुम ..बात को टालते हुए बहन बोली
अपनी सर्द आवाज़ में धीमी धीमी बोले जा रही थी
शादी के बाद यही अपना घर होता है साक्ष्य दिखा रही थी
अच्छा रखती हूं काम है यह कहकर फोन रख दी थी....
मुझे से ज्यादा भला तुझे कौन जान सकता है
लड़ने के बाद इतना प्यार तुझे से भला कौन दे सकता है
वहां जब भी तुझे याद आएं फोन कर देना..
हुकुम के साथ सारी फ़रमाई तुम्हारे पास होगी..
भाई काम रहता है छुट्टी कहां मिल पाती है
सभी लोगों के खाना बनाते-बनाते दस एगारह बज जाते हैं
मां बहन से भी बातें नहीं हो पा रही थी..
तुम बताओ तुम्हारी पढ़ाई लिखाई कैसी चल रही है...
छोड़ मुझे बहन, पहले खाना खा ले तू
इतनी देर तक भूखे कैसे रह ली तू
जो सुबह सुबह खाने के लिए दौड़तीं थी
बेड पर ही चाय के साथ बिस्कुट होती थी
और वहां जाकर तुम अब तक किचन में रहती हो...
हंसी , वह खनक कहा दिख रहा है
तेरी आंखों की वह चमक बूझ गई है
इतनी कम उम्र में जिम्मेदारी उठा ली है तू
कर लेगी तुम, मुझे यकीन है ख़ुद से भी ज्यादा तुम पर
पर मुझे से कुछ तो छुपा रही है..
घर की याद आएं
मुझे पापा से डांट सुनाने का मन करें
तुझे मुझे से लड़ने का जी करें
मैं सब में हाजिर रहूंगा..
इतना कहते ही चेहरा खिल उठा
और अपनी बतीसी दांत दिखा दी
तब मैंने कहा दिखा रोटी कैसे बनाई है
रोटी के साथ मुझे कुछ और भी दिखा था
ध्यान न रहा अपनी हाथ नहीं छुपाई थी
तावे पर जली हुई उंगली मुझे दिख गई थी
दवा लगा लेना उंगली पर जैसे ही कहा
तुरंत बाद बदल कैसी थी रोटी पूछ ली थी..
अच्छी नहीं थी , तुझे से अच्छा मैं बना लेता हूं
उसे चिढ़ाने के लिए बोल दिया था
अपनी आंखों से उसकी उंगली हटा नहीं पा रहा था
चल ध्यान रखना कहते ही फ़ोन रख दिया था..
शादी के बाद कितनी बदल जाती है बहन
ये तो आज अच्छे से दिख गया था...
देव ऋषि ✨ प्रारब्ध ✨ ✍️✍️