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हास्पिटल जनित समस्याएँ ( कहानी अंतिम क़िश्त)

3 जून 2022

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( हास्पिटल जनित समस्याएँ) कहानी अंतिम क़िश्त 

( अब तक-- सुलेमान को जब यह पता चली कि एशवर्या मेरी बहन है तो वह अपनी अम्मी सलमा से कहता है-- आगे )

फ़ारूख और ऐश्वर्या की शादी का मैं विरोध कर रहा था लेकिन मुझे पता चल रहा है कि ऐश्वर्या मेरी जुड़वा बहन है और फ़ारूख तो मेरा लाडला भाई है । अब तो उन दोनों की भावना का सम्मान करना मेरा कर्तव्य भी है । अम्मी आप ही बताओ कि मैं हिन्दू मुसलमान के बीच की खाई को कैसे पाटूं । तब सुलेमान की अम्मी सलमा ने कहा बेटा क़ौमों के प्रति तुम्हें ज़िम्मेदारी किस तरह निभानी है,यह तो मैं नहीं जानती पर अपने भाई – बहन के प्रति तुम्हें ज़िम्मेदारी मुकम्मल रुप से निभानी है । इसके बाद सुलेमान ने अपने आंसू पोछे और अपनी मम्मी सलमा का पैर छूते हुए उनसे आशीर्वाद लिया और अपने बायोलाजिकल माता पिता इंदू व दीपक जी से मिलने चला गया । वहां पहुंच कर इंदू और दीपक जी के पैर छूकर उन्हें बताने लगा कि मैं आपका सगा बेटा हूं  । वास्तव में मैं और एश्वर्या जुड़वा भाई बहन हैं । उसके बाद सुलेमान ने सारा क़िस्सा विस्तार से उन्हें बताया । यह सब सुनने के बाद इंदू और दीपक ने उसे गले से लगा लिया और आशीर्वाद देते हुए कहा बेटा तब तो तुम ऐश्वर्या और फ़ारूख दोनों के पालक हो । 

यह बात जब ऐश्वर्या और फ़ारूख को दोनों को बताई गई तो दोनों ही रो पड़े , साथ ही उन्हें एक अजीब सी खुशी का एहसास हुआ। ऐश्वर्या ने रोते हुए सुलेमान से गले लग गई । 
अगले दिन सुलेमान ने दोनों की शादी संबंधित एक आवेदन कलेक्टर के आफ़िस में कानूनी प्रक्रिया के तहत ज़मा करवा दिया । वहां ऐश्वर्या और फ़ारूख को एक महीने बाद कलेक्टरेट  में उपस्थित होने कहा गया ।   
इसके बाद सुलेमान अपनी सारी तकरीरों में हिन्दू – मुसलमान दोनों धर्मों के लोगों के बीच जुड़ाव की बातें करने लगा । वह यह तर्क देने लगा कि दोनों धर्म के लोग एक ही ख़ुदा के बंदे हैं । दोनों को उपर वाले ही बनाया है , तो एक दूसरे के दुश्मन  कैसे हो सकते हैं । उसकी तक़रीरें सुनकर बहुत सारे लोग उसका विरोध में खड़े होने लगे, तो बहुत सारे लोग उसके समर्थन में खड़े होने लगे।  शहर में एक अजीब सा मज़हबी वातावरण निर्मित हो गया । तब महाराष्ट्र सरकार ने सुलेमान को सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया । साथ ही उसे सलाह दी गई कि इस तरह की तक़रीरें अब न करें जिससे लोगों की मज़हबी सोच पर कोई प्रश्न चिन्ह खड़ा हो । लेकिन सुलेमान की आवाज़ कमज़ोर पड़ने के बदले और बुलंद होती गई ।  देश भर में उसके समर्थन और विरोध में संस्थाएं और लोग खड़े होने लगे । बात और आगे बढी तो सरकार ने सुलेमान को गिरफ़्तार कर लिया और उसे किसी अज्ञात स्थान में बंदी बनाकर रख लिया गया । 

समय गुज़रता गया । एक महीने बाद ऐश्वर्या और फ़ारूख की बिना किसी व्यवधान के विवाह हो गया । दोनों विवाह के बाद अपने अपने आफ़िस भी बिना किसी रोक टोक के जाने लगे । उनको बस एक बात का दुख था कि उन्हें  सुलेमान का सानिद्ध्य नहीं मिल पा रहा था । वह कहां है यह भी पता नहीं चल पा रहा था ।

इस तरह 10 वर्ष गुज़र गए। वक़्त अपनी चाल पर चलता रहा  । सुलेमान आज की तारीख में ज़िन्दा है या नहीं , कोई नहीं जानता था पर अब मुंबई और सारे हिन्दोस्तान में कई ऐसे संगठन और व्यक्ति खड़े हो गए जो सुलेमान की तरह ही बातें करते थे।  उनको सुनने वाले भी हज़ारों की संख्या में थे । ऐसी भी जानकारी में आई है कि अब मुंबई की फ़िज़ा में सूफ़ी संगीत सुनने वालों की संख्या में बेतहासा इज़ाफ़ा हो रहा है । वहीं तुलसी , कबीर ,नानक संबंधित रिसाले बहुत ज्यादा संख्या में बिकने लगे हैं । 

अज ऐश्वर्या और फ़ारूख़्ह ने अखबार में एक खबर पढी कि दस दिनों बाद मुंबई में सिन्ध प्रान्त से एक महान सूफ़ी संत किसी कार्यक्रम में शिरकत करने आने वाले हैं । वहां उनका प्रवचन भी होगा । उनके प्रवचन का मुख्य विषय होगा । मज़हबी दीवारें कैसी तोड़ी जाए? हिन्दू धर्म और मुस्लिम धर्मों की अच्छी बातें क्या क्या है जिसे सारे लोग अपना सकते हैं ? अखबार में उन संत का नाम दिया था “इन्दू सुलेमान हामिद” । उन दोनों को लगा यह कैसा नाम है । एक तो बहुत लंबा है फिर इस नाम में हिन्दू और मुस्लिम दोनों प्रकार के नामों का आभास होता है । उन्हें लगा कि आने वाले संत कहीं हमारे सुलेमान भाई तो नहीं है ? 
तय समय में ऐश्वर्या,फ़ारूख , सलमा जी व इन्दू गुप्ता तथा दीपक गुप्ता जी मुंबई के शिवाजी मैदान पहुंच गए । जहां उन संत का कार्यक्रम होने वाला था । उन्हें कहीं से वीआईपी पास मिल गया था । अत: वे सब बिल्कुल सामने ही प्रथम पंक्ति में  बैठे थे।उन्होंने संत को पहली नज़र में ही पहचान लिया कि वे हमारे सुलेमान भाई ही हैं । सुलेमान भाई भी उन्हें पहचानकर उन सबका अभिवादन किया । आंखों ही आंखों में दुआ सलाम हुए। वे सब दोनों दिन प्रथम पंक्ति में शुरू से कार्यक्रम के आखिर तक बैठे रहें पर उनमे से किसी को भी संत जी से व्यक्तिगत मिलने का मौक़ा नहीं मिला। वे हर वक़्त अपने अनुनाइयों से ही घिरे रहते थे , और पता नहीं क्यूं सुलेमान जी ने भी उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने का तनिक भी प्रयास नहीं किया । मानो उन्होंने कसम खाई हो या  उनके गुरू ने उन्हें कसम खिलाई है कि तुम अपने माज़ी से दूर ही रहना वरना तुम्हारी  क़ाबिलियत नेस्तानाबूद हो जायेगी । और तुम्हारे अंदर के संतत्व का क्षरण हो जायेगा । 

ऐश्वर्या, फ़ारूख , सलमा , इन्दू और दीपक सबको इस बात की तसल्ली है कि सुलेमान पूरी तरह से सही सलामत है । उनकी आवाज़ आज भी उतनी ही बुलंद है जितनी 20 वर्ष पूर्व थी । साथ ही उनकी एक आवाज़ में उनके हज़ारों अनुयायी उनके आदेश का पालन करने के लिए हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं । 
मुंबई के बाद सुलेमान जी रायपुर छत्तीसगढ में प्रवचन देने जाने वाले हैं । वहां उनका प्रवचन मेकाहारा के विशाल मैदान में आयोजित है । ऐश्वर्या, फ़ारूख , सलमा , इन्दू और दीपक के मन में भी आया कि उन्हें भी रायपुर जाना चाहिए पर अंत में कुछ सोचकर उन सबने रायपुर जाने की इच्छा को त्याग दिया।

( समाप्त)

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