( हास्पिटल जनित समस्याएं ) प्रथम क़िश्त रायपुर के मेकाहारा हास्पिटल में कोहराम मचा है । हर तरफ़ अफ़रा तफ़री का माहौल है । अस्पताल के बड़े बड़े अधिकारी हां पहुंच चुके हैं पर गायनिक वार्ड में भर्ती इंदु गुप्ता अब भी दहाड़ें मारकर रो रही है और उनके परिजन वार्ड की नर्सों पर अपना गुस्सा निकालते हुए उन्हें कोस रहे हैं । किसी के फोन करने से मोदहा पारा थाने के पोलिस भी वहां पहुंच गई थी । किसी को समझ नहीं आ रहा था कि माज़रा क्या है ? आखिर इतनी चिल्ल-पों क्यूं मची है इस वार्ड में ? वाकिया कुछ ऐसा था , कि इंदु गुप्ता जी तीन दिन पहले यहा भर्ती हुई थी । उसी दिन रात्रि को नार्मल डेलिवरी से उनका बच्चा हुआ था । जिसे बहुत कमज़ोर बताकर विशेष इलाज़ की ज़रूरत है कहकर बच्चों के गहन चिकित्सा वार्ड में रख लिया गया था । कुछ दिनों बाद जब इंदी गुप्ता की छुट्टी हुई तो उसे बच्चा सौंपा गया । तो वह बच्चे को देखकर चीखने चिल्लाने लगी । वास्तव में उसे डेलिवरी के बाद एक नर्स द्वारा बताया गया था कि तुमने एक लड़के को जन्म दिया है , जबकि जो बच्चा उसे सौंपा जा रहा था , वह एक लड़की थी । जब इंदु और उसके परिजन को पता चला कि इंदू को एक लड़की सौंपी गई है तो वे सब उदिग्न हो गए और वे सब के सब चिल्लाने लगे कि हमारे बच्चे को किसी साजिशकर्ता के द्वारा बदल दिया गया है । इंदू को बताया गया था कि तुमने एक लड़के को जन्म दिया है , जबकि उसे जो बच्चा सौंपा जा रहा है वह एक लड़की है। बस क्या था वहा 10 मिन्टों में ही अफ़रा तफ़री का महौल हो गया । अस्पताल प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने जब लेबर रूम के रिकार्ड को चेक कराया पाया तो रिकार्ड दुरुस्त पाया गया । उस दिन हास्पिटल में 7 शिशुओं का जन्म हुआ था । जिनमें से 4 लड़के थे व 3 लड़कियां थीं । बाक़ी 6 लोगों को उनके रिकार्ड के अनुरूप ही उनके शिशु मिल गए थे । इन्दू के रिकार्ड में लड़की की पैदाइश दर्शायी गई थी । रिकार्ड रजिस्टर में कहीं कोई काट छांट नहीं थी। फिर किसने इंदू को बताया था कि तुमने एक लड़के को जन्म दिया है । जिसके ही कारण अस्पताल में इतना बवाल मचा है । पता लगाया गया तो मालूम हुआ कि इन्दू की डेलिवरी के समय सिस्टर सलमा की डेलिवरी रुम् में ड्यूटी थी । सिस्टर सलमा को बुलाया गया तो पता चला कि वह एक दिन पहले ही छुट्टी लेकर 1महीने के लिए केरल चली गई है । तब फोन द्वारा केरल स्थित उसके घर में संपर्क किया गया तो पता चला कि उसे दुबई में नौकरी मिल गई है तो वह 5 वर्षों के कान्ट्रेक्ट में दुबई जा चुकी है । वह इस बाबत कागज़ी कार्यवाही पिछले 6 महिनों से कर रही थी।1 बात आई और गई । इंदू को हास्पिटल प्रशासन की तरफ़ से विश्वास दिलाया गया कि अपने एक लड़की को ही जन्म दिया है । हो सकता है किसी नर्स से इस बाबत आपको बताने में गल्ती हुई हो । हमारे अस्पताल का रिकार्ड इस बात की तस्दीक कर रहा है आप एक लड़की ही माता बनी हैं । आखिर में इंदू और उसके परिजन मान गए व बच्ची को लेकर अपने घर आ गए। अब वे सब उसी बच्ची में ही अपनी खुशियां तलाशने लगे । इंन्दू के पति एक मुल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स आफ़िसर हैं । हर तीन वर्ष में उनका ट्रान्स्फ़र लगभग तय रहता था । धीरे धीरे बच्ची बड़ी होती गई । वह बहुत ही चंचल , शरारती और सुन्दर थी । पढाई में भी वह बहुत होशियार थी । सेन्ट जेवियर स्कूल जहां वह पढती थी ,वहां के अधिकान्श शिक्षक गण उसके गुणों के कायल थे । खेल कूद , भाषण कला और अभिनय के क्षेत्र में भी वह निपुण थी । इसके अलावा गायकी में तो उसका जवाब नहीं था । उसका नाम रखा गया था “ एश्वर्या “। इस तरह 20 वर्ष गुज़र गए । अब एश्वर्या के पिता दीपक गुप्ता जी की पोस्टिंग मुंब्ई में हो गई। उनका सारा परिवार मुंबई के प्रभादेवी इलाके में किराए का घर लेकर रहने लगे । एश्वर्या का एड्मिशन पास ही स्थित भारत कालेज आफ़ फ़ाइन आर्ट्स में करा दिया गया । वह अभी वहां द्वितीय वर्ष की छात्रा थी । भरत कालेज प्रभादेवी में भी ऐश्वर्या का पढाई व एक्स्ट्राकरीकुलर एक्टिविटीस के क्षेत्र में डंका बजने लगा । अगस्त के महीने में उनकी क्लास में एक नया लड़का बाहर से आया जिसका नाम था फ़ारूख । वह बहुत ही सीधा सादा व बेहद पढाकू लड़का था । अब वह अपनी क्लास में सारे मासिक परीक्षाओं में वह प्रथम स्थान प्राप्त करने लगा । उसके आने से एश्वर्या का परीक्षाओं में स्थान अब दूसरा रहने लगा । एश्वर्या को अपने प्रथम पद खो जाने का बेहद मलाल रहने लगा । वह बार बार सोचती थी कि यह लड़का फ़ारूख़् कहां से आ गया। उसके आने से मेरी पोजिशन पर बैठे बैठाए बट्टा लग गया है । जिसके कारण कालेज में मेरा महत्व भी शायद घट गया है । अब तो सारे टीचर्स फ़ारूख को ज्यादा तवज्जो देने लगे है। उन सबका ध्यान मेरी तरफ़ से कम हो गया है । फ़ारूख को इन सब बातों से ज्यादा मतलब नहीं था । वह तो अपनी पढाई में ही मशगूल रहता था । ज्यादा लोगों से उसकी दोस्ती तो थी नहीं । वह कालेज से छूटते ही अपने घर चला जाता था । उसका भी घर प्रभादेवी में ही स्थित था । मुंबई में घर में उसके अलावा सिर्फ़ उसकी मम्मी भर और रहती तथी । उसका बड़ा भाई कई महीनों से आसाम में था । उधर एश्वर्या अपनी घटती पोजिशन के कारण दिन ब दिन परेशान रहने लगी । उसे लगने लगा था कि उसकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा फ़ारूख ही है । उसे अगर रस्ते से हटा दिया जाय या उसका रस्ता बाधित कर दिया जाय तो मेरी प्रथम पोजिशन फिर से बरकरार हो जाएगी । वह अपने कुछ लड़के दोस्तों के साथ ऐसी प्लानिंग बनाती है कि फ़ारूख को इस तरह इन्ज्यूर्ड कर दिया जाय कि वह महीने 2 महीने बिस्तर में पड़ जाय तो उसकी पोजिशन पीछे खिसक जाएगी । वह सेमुवल नाम के लड़के को अपने दिल की बात बताती है । तो सेमुवल अपने मुहल्ले के 4 साथियों के साथ एक प्लान बनाता है और एक दिन वे फ़ारूख को कालेज के गेट के पास कार से डैस मार देते हैं । जिससे फ़ारूख के दाएं पैर में अच्छी खासी चोट आती है । उसे वही लोग हिन्दूजा हास्पिटल ले जाते हैं । जहां पता चलता है कि उसकी है ।