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बेशर्त मोहब्बत

23 जनवरी 2018

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हूँ मैं खरीदार मगर चाहत कोई व्यापार नही. खुदा की नेमत है इसका कही कोई बाजार नहीं. ये तो जलवा है उनके हुस्न और अदाआे का.. इश्क हो जाए किसी को तो वो गुनाहगार नही . ये तो हम थे जो उनको चाहा और भुलाया भी. वरना कोई दवा मर्ज ए इश्क मैं मददगार नही. उनको देखा तो साेचा अब ना चाहेंगे किसी को. बात ये सच हुई आज हमें खुद पर एतबार नही . जख्म कुछ इस कदर नासूर बन गये हैं मेरे कि. दीदार ए यार के सिवा इनका काई इलाज नहीं . एक हम थे जो सोचते थे पूजेगे उन्हें. आैर वो ये कहते रहे होगा तुमसे कभी प्यार नहीं .

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