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बेवज़ह

18 फरवरी 2018

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ज़िंदगी ये मेरी बेवजह बन गयी उनको पाने की चाहत खता बन गयी दिल लगाना और लगा के उसे तोड़ देना ऐसी उस बेवफा की अदा बन गयी उनका हुस्न औ अदा और मेरा दीवानापन इस तिज़ारत की वाज़िब बजह बन गयी अब मिले जो खुदा पूछ लू बेखटक क्या मोहब्बत की चाहत गुनाह बन गयी मौत से ही मिलेगी अब रिहाई मुझे ज़िंदगानी मेरी इक सजा बन गयी

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