पिछली रचना में आप ने पढ़ा कि कैसे रोहन को शंखिनी उठा ले जाती है और अपनी इच्छाएं पूरी करती है और एक तरफ रोहन के दोस्त उसको ढूढ़ने पर लगे रहते है पर रोहन का कोई पता नही चलता है
पर निशान हार नही मानता है ........
एक दिन ...... उसके मन मे .....
कि क्यों न उसी जगह फिर से जाया जाए जँहा से रोहन गायब हुआ था कोई न कोई सुराग ही मिल जाये शायद
यह सोच कर निशान जंगल की ओर निकल पड़ता है और कुछ देर में वह उस गुफा के पास पहुंच जाता है फिर वह उस गड्ढे को बड़े ध्यान से देखता है और गुफा में अंदर जाने लगता है अंदर जाने पर उसे पुराने मंदिर के अवशेष और बड़े बड़े पत्थर दिखाई देते है जो वहाँ बिखरे थे । तभी उसको एक चमकदार पत्थर दिखाई देता है जिसमे एक विशाल राक्षसी महिला का चित्र होता है ।
निशान को यह सब समझ के परे लगता है और वह उस पत्थर को लेकर आगे बढ़ जाता है ।।
तभी कोई आवाज होती शहहह.....शहह...
भारी भारी पैरो की आहट...........
निशान एक बड़े पत्थर के पीछे छिप जाता है ।
और सोचता है कौन होगा यहाँ पर -
तभी उसको एक भयंकर स्त्री दिखाई देती है तो शंख की तरह आवाज निकाल रही थी देखनेे में बड़े बड़े दांत
लंबी जीभ । वह वहाँ आकर गुफा की दीवाल से दो तीन
चमगादड़ अपने बड़े बड़े हाथों से पकड़ती है और खाने लगती है और उनके पंख फाड़कर फेक देती है । कुछ देर वहाँ रुकने के बाद वह अपनी नाक ऊपर करती है। जोर से सूंघती है और उसको इंसानी गन्ध का अहसास होता है ।
निशान की गंध लग रही थी .....
फिर वह इधर उधर इंसान (निशान) को ढूंढने लगती है कभी किसी पत्थर के पीछे कभी किसी और पत्थर के पीछे ।
अब वह धीरे धीरे निशान के करीब आ रही थी ....
तभी......
निशान के दिमाग में घण्टी बजती है ....
यह गंध से मुझे ढूढ लेगी ...
निशान कुछ सोचता है
फिर निशान वहाँ पड़े चमगादड़ के मल को अपने कपड़ों में लगा लेता है । उसकी गंध पूरे गुफा फैल जाती है ।
अब शंखिनी को गंद आना बंद हो जाती है ....
थोड़ी देर शंखिनी वहाँ रुकती है और फिर चली जाती है
निशान सोचता है किसी ने ही रोहन का अपहरण नहीं किया होगा .....
कही मार तो नही दिया ......
नही न...नही....
रोहन जिंदा होगा ....
मैं ऐसा कैसे सोच सकता हूँ
क्यों न इसका पीछा किया जाए .......
निशान शंखिनी का पीछा करता है और वह देखता है की वह महिला जंगल मे जा रही ।।।
पीछे पीछे छिप छिप....कर
निशान .......पीछा कर रहा होता है
दबे पाँव निशान उस महिला का पीछा करता रहता है तभी वह देखता है कि वह महिला एक छोटी सी गुफा के अंदर जा रही है अब निशान भी उसके पीछे-पीछे उस गुफा की ओर बढ़ता है और वह गुफा के अंदर जाने लगता है
गुफा में कई जनवरो की हड्डियां पड़ी थी । शंखिनी चमगादड़ को खाती हुई अंदर जंगल मे चली जा रही थी ।
निशान उसके पीछे छिप छिप कर चल रहा था ।
तभी .....
गुफा में एक और रास्ता उसे दिखाई देती है वह उस रास्ते पर आगे बढ़ता है तब वह देखकर चकित होता है
गुफा में एक और दरवाजा है जो खुला हुआ है
मन मे सोचता है ......
निशान मतलब यह गुफा दो जंगलों को जोड़ती है .......
तभी उसे शंखिनी दूर दिखाई देती है वह एक मरे हुए इंसान के हाथ को खा रही थी और थोड़ी देर बाद वह वहां से उठती है और एक पेड़ के कुछ फलों को तोड़ लेती है
और अपने नाखूनों से पेड़ पर निशान लगाती ।
और ऊपर मुँह करके ....
सहहहहहह... सहहहहहह....
अजीब सी आवाज़ निकालती है .....
और आगे बढ़ जाती है इधर निशान भी दबे हुए कदमों से उसका का पीछा करता है
थोड़ी देर बाद .......
पीछा करते-करते वह स्थान पर पहुंच जाता है जहां शंखिनी रहती है.....
निशान...
बड़ी अजीब सी जगह है .... जैसे कोई कसाई घर हो इतनी गंध .... निशान थोड़ा आगे बढ़ता है ...
तभी उसका पैर एक अनजान चीज पर पड़ता है
वह नीचे देखता है ।......
वह कोई नही कोई मनुष्य है । निशान का पैर उसके सीने में घुस गया है ।
निशान अपना मुंह दबा लेता है ।
निशान वहां पर देखता है कि कई मनुष्यों की हड्डियां पड़ी हुई है एक झोपड़ी नुमा टाट का घर है जिसके अंदर से करहाने की आवाज आ रही है
ओह माँ ....... ओह माँ.......... बचा लो .........
आस पास मानव अंग बिखरे पड़े है .........
निशान झोपड़ी के बाहर से एक छोटे से सुराग से अंदर का नजारा देख रहा था
वह वहां का नजारा देखकर डर जाता है
वहाँ मानव के अंग ज़मीन में बिखरे हुए थे .....
कई शव वहां पड़े थे ......
वह देखता है कि रोहन जिंदा है और वह बहुत ही दुबला हो चुका है और शंखिनी उसे देखकर गुर्रा रही है
हूँहहहह हूँहहहहहह .......हूंहहहह
तभी शंखिनी रोहन की तरफ दो फल फेकती है रोहन तुरंत खाने लगता है और शंखिनी वापस लौटने लगती है जंगल की ओर ....
यह देखकर निशान एक पेड़ के पीछे छुप जाता है शंखिनी जंगल की ओर ओझल हो जाती है तभी निशान चुपके से उस झोपड़ी में दाखिल होता है
निशान रोहन को देखता है
रोहन निशान को पहचान नही पता है वह बस फल खा रहा होता है
निशान - रोहन को हिलाकर भाई कैसे हो .......
रोहन देखता है फिर खाने लगता है
फिर रोहन थोड़ी देर निशान को देखता है ।
रोहन - निशान तुम्म्म......निशान...... बचा लो .....
(रोहन की दशा बिल्कुल एक वृद्ध की तरह हो गई है वह शरीर से इतना दुर्बल हो गया है कि उसकी सभी हड्डियां दिखने लगी हैं तथा उसकी आवाज में भी काफी बदलाव आ गया है )
निशान .....
तुम सही हो ना रोहन ......
रोहन -
बचा लो ......... निशान भाई .....बचा लो...
निशान .....
एक बात समझ मे नही आई मेरे
रोहन तुम्हें इसने मारा क्यों नहीं ?
क्योंकि हमने यहां तक जितने भी व्यक्तियों को देखा सब मरे हुए थे ।
रोहन - पता नही निशान ..
अब यहाँ से निकालो भाई .......निशान .....
निशान रोहन को अपने कंधे के सहारे उठाता है .....
और वहाँ से निकलते है ....
और दोनों वहां से किसी तरह निकलते है । पर रोहन चल नही पता है ।
निशान - रोहन भाई जिंदा रहना है तो चलो कोशिश करो
रोहन - करहाते हुए ....... भाई नही होगा तुम भाग जाओ
वो आती ही होगी .....
वह न जाने कितने आदमी का सीना फाड़ देती है । और खून पीती है बहूत भयानक है दोनो को मार देती है ।
रोहन की मानसिक स्थिति बदल गयी है
निशान - कुछ नही होगा तुम चलो बस कोशिश करो दोनो बचेंगे भाई चल तो ....
रोहन फिर ताकत लगता है और कोशिश करता है ।
अगले भाग में आप पढ़ेगे की किस तरह शंखिनी रोहन को ढूंढ लेती है और हमला करती है