इस लेख में माँ काली से जुड़े हुए रहस्य तथ्य और प्रेरक प्रसंग है कि माँ कोई किस प्रकार प्रसन्न किया जा सकता है और माँ है क्या यह रहस्य शायद बड़े बडे योगी भी न जान पाए होंगे और हम मनुष्यों के लिये एक जन्म कम है । जय माई की
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भगवान शिव के अनुरोध पर देवी जगदम्बा के शरीर से भयानक उग्र रूप धारण किए चंडिका देवी शक्ति रूप में प्रकट हुईं थी। उनके स्वर में सैकड़ों गीदड़ों की भांति आवाज आती थी। और इतनी भयानक थी कि कई राक्षस
माता सती जब यज्ञ में भस्म हुई तो उनके क्रोध से 10 महाविद्याओ का जन्म हुआ । और यह 10 महाविद्या अपने भक्तों की दसो दिशाओं से रक्षा करती है ।काली प्रथम महाविद्या यह महाविद्या का प्रथम रूप है य
महाविद्या तारा को जगत माता माना जाता है यह अत्यंत उग्र अर्थात जल्दी कृपा करने वाली देवी मानी जाती है यह भक्तेस्वरी है अर्थात सभी भक्त इनको माँ रूप में पूजते । कथा के अनुसार जब म
हिरनगर्भय ही भगवान शिव हैं और उन्हीं की शक्ति षोडशी महाविद्या है। जिनको हम त्रिपुरसुंदरी के नाम से जानते है ।तंत्र शास्त्रों में षोडशी देवी को पञ्चवक्त्र अर्थात् पाँच मुखों वाली बताया गया है। चार
देवी भुनेस्वरी अत्यंत सुंदर मनमोहक स्वरूप लिए हुए है माता के चेहरे से सूर्य के समान तेज और ऊर्जा प्रकट होती है देवी की शरण मे आने वाला भक्त राजनीतिक क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करता है । देवी तीनो
यह संसार पर्वतनशील है और इसकी शक्ति छिन्नमस्ता है। संसार मे जो गठित होता है यह बदलता है देवी का सिर कटा हुआ और इनके कबंध से रक्त की तीन धाराएं निकल रही हैं। देवी त्रिनेत्रा है और देवी के गल
महाविद्या भैरवी योगविद्या में निपुण देवी उमा का रूप है । यह देवी जगत का मूल कारक है । जब भगवान शिव का मन उच्चटित होने लगा तब वह कैलाश छोड़कर पार्वती से दूर जाने का प्रयास करने लगे । पर
धूमावती देवी अकेली ही दृष्टिगोचर होती हैं। यह देवी अकेले ही रहती है , अकेले ही निवास करती है इनको अलक्ष्मी भी कहते है । क्योंकि यह धन हीन पति हीन है , इस कारण इनका स्वरूप विधवा है इनकी पूजा सुहा
माता बगलामुखी शक्ति की अधिष्ठात्री देवी है । इनकी शरण मे गए भक्त को शत्रु एव नकारात्मक शक्तियों से भय नही प्राप्त होता है । अतः देवी भय एव शत्रु को नष्ट करने वाली है । माता बगलामुखी का स्वरूप पिल
महाविद्या मातंगी अत्यंत सुख देने वाली देवी मानी जाती है इनकी आराधना करने से वाणी , स्वर और त्रिकाल ज्ञान प्राप्त होता है । इनका वर्ण हरा और गहरा नीला है । यह रत्नजड़ित सिंहसन में बैठी तोते
महाविद्द्या कमला को महालक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है देवी लक्ष्मी सुख सौभग्य देने वाली है देवी को राजेस्वरी भी कहा जाता है । देवी सभी सोलह कलाओं में निपुण है । देवी की तंत्र पूजा अघोर लक्ष्म
माता सती देवी पार्वती का ही पूर्व का जन्म था । देवी सती दक्ष की कन्या के रूप में प्रकट हुई थी । देवी सती अत्यंत गौर वर्ण की थी पर क्रोध में उनका चेहरा अग्नि के समान लाल हो जाता था । देवी सती का प्रत्य