अहसास शब्दों में खुद ब खुद जुड़ जातें हैं , उठते बैठते जिसे देखा ,जिसे समझा वही लिखा गया, न्याय यात्रा मौसम और शहर के बारे लिखने में आनन्द की अनुभूति होती है । हिंदी पहाड़ी अंग्रेजी के साथ कुछ फ़िल्म समीक्षाएं लिखने की कोशिश की है । :हेमांशु मिश्रा
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