बंगाल में रहने वाले बंगाली और भाषा बंगाली, पंजाब में रहने वाले पंजाबी और भाषा पंजाबी, उसी तरह सिंधी, गुजराती, मारवाड़ी, बिहारी, असामी, मद्रासी, और बहुत से, हिंदी सिर्फ एक भाषा बनकर रह गई और हिंदियों की पहचान इन सब में कहीं खो कर रह गई. हिंदी है हम वतन है हिन्दुस्तान हमारा में हिंदियों का ज़िक्र ज़रूर होता है लेकिन कुछ लोगों ने चतुराई से हिंदी लोगों की पहचान ख़त्म कर हिन्दू धर्म से जोड़ दिया. जैसे बंगाली हिन्दू भी होते है, मुसलमान भी और ईसाई भी वैसे ही हिंदी हिन्दू भी हो सकता है और मुसलमान भी, ईसाई भी हिंदी लोगों की भाषा हिंदी है , उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश हिंदियों का प्रदेश. पुरे भारत पर हिंदियों का राज था चाहे रामयाण काल हो या महाभारत काल. आज ज़रूरत है कि हिंदी अपने को धर्म से बाँध कर ना देखे, किसी भी धर्म का लोग हिंदी हो सकता है, अगर वो हिंदी प्रदेश का निवासी है. बहादुर शाह ज़फर ने कहा है " हिंदियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की, तख़्ते लन्दन पर चलेगी तेग़ हिन्दुस्तान की. " कुछ बाहरी लोगो ने आकर उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश से हिंदियों की पहचान को मिटाना शुरू कर दिया. बंगाली अपने बंगाली होने और अपनी संस्कृति पर गर्व करता है तो पंजाबी अपने पंजाबी होने पर, कोई अपने को गुजराती बता कर गर्व करता है तो कोई मराठी, पर हिंदियों ने ना तो कभी हिंदी होने पर गर्व किया ना ही उस हिंदी संस्कृति को बचाने के इसलिए यहाँ बड़ी आसानी से हिंदी संस्कृति को हिन्दू संस्कृति में बदल दिया. क्या हिंदियों को जिसमे सभी धर्म के लोग है उन्हें अपना हिंदी स्वाभिमान दिवस नहीं मनाना चाहिए? हिंदी दिवस को सिर्फ हिंदी भाषा का नहीं हिंदी समाज का " हिंदी स्वाभिमान दिवस मनाना चाहिए. सभी धर्मों और सभी अनुयाइयों को इस दिवस को खूब धूम से मनाना चाहिए. गर्व से कहो हम हिंदी है .