हमे क्या पता था कि वो सब बेवजह था
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घंटो राह को तकनावो छुप - छुप के मिलनाहमे क्या पता थाकि वो सब बेवजह थाहंसना हंसानावो रूठना मनानाहमे क्या पता थाकि वो सब बेवजह थाबाते इरादेवो सपने और वादेहमे क्या पता थाकि वो सब बेवजह थाशिकवे गिले ...थ
मेरे शहर की यह बात तो नहीं ...मेरे गांव की यह बात है . . .यहाँ कोई दिवस तो नहीं मनाया जाता ...लेकिन मजदूरों को सताया भी नहीं जाता ...आज भी मजदूर मजदूरी करने जाएंगे ...शहर के वासी मजदूर दिवस मनाएंगे ..