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ग़ज़ल
हमे क्या पता था कि वो सब बेवजह था
हमे क्या पता था कि वो सब बेवजह था
रिया सिंह सिकरवार " अनामिका "
काव्य / कविता संग्रह
ग़ज़ल
2 भाग
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28 पाठक
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हमे क्या पता था कि वो सब बेवजह था
hme kyaa ptaa thaa ki vo sb bevjh thaa
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रिया सिंह सिकरवार " अनामिका "
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30 किताबें
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मैं एक विधार्थी हूँ .... मुझे लिखना और पढ़ना पंसद है . . . नारी है वो नारी है वो ताड़न की अधिकारी दो परिवारो को एक करने वाली टूटे विश्वास को जोड़ने वाली खुले मन से हँसने वाली अपनी इच्छा को मारने वाली आँसू को छूपाने वाली दर्द में भी मुस्कुराने वाली
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