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हमे क्या पता था कि वो सब बेवजह था

1 मई 2023

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घंटो राह को तकना
वो छुप - छुप के मिलना
हमे क्या पता था
कि वो सब बेवजह था
हंसना हंसाना
वो रूठना मनाना
हमे क्या पता था
कि वो सब बेवजह था
बाते इरादे
वो सपने और वादे
हमे क्या पता था
कि वो सब बेवजह था
शिकवे गिले ...
थे उनको हजार
वो कहते थे मेरी जान ...
तुझ पे है निशार
हमे क्या पता था
कि वो सब बेवजह था ...

28/4/2023
10:50 Pm

रिया सिंह सिकरवार "अनामिका " ( बिहार )
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सुंदर लिखा है आपने 😊🙏

7 अगस्त 2023

2
रचनाएँ
हमे क्या पता था कि वो सब बेवजह था
5.0
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