14 मार्च 2022
35 फ़ॉलोअर्स
जो मन में आता है , लिखता हूं । साफ कहना, साफ दिल , साफ लिखना मुझे पसंद है । D
<div><span style="font-size: 16px;">समय कितनी तेजी से बदल रहा है , पता ही नहीं चलता है । हर दूसरे ती
<div align="left"><p dir="ltr">बड़ा कठिन सवाल दे दिया प्रतिलिपि जी ने आज । रात के बारह बजे से ही ढूंढ
<div align="left"><p dir="ltr">आज बॉस के साथ मेरी कहा सुनी हो गयी थी । इस कहा सुनी में कहते बॉस ही ह
<div align="left"><p dir="ltr">कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने कहर बरपा रखा था । चारों ओर अफरा तफरी मच र
<div><span style="font-size: 16px;">आज सुबह सुबह श्रीमती जी ने फरमान सुना दिया कि "आखिरी रात" पर एक
<div align="left"><p dir="ltr">आज घर में कुछ खास बात थी । सबके चेहरे चमके हुये थे । कुछ समझ नहीं आया कि बात क्या है ? श्रीमती जी एक गाना गुनगुना रही थीं "तेरे मेरे मिलन की ये रैना । नया कोई गुल खिलाये
<div align="left"><p dir="ltr">आजकल स्कूटर बड़ा खुश है । और खुश हो भी क्यों नहीं आखिर उसके सुनहरे दिन जो लौट आये हैं । मूंछों पर ताव देकर, आहिस्ता से बालों को झटक कर , कॉलर ऊंची कर के , छैला बाबू बनकर
आज रेडियो पर एक पुरानी सुपर डुपर हिट मूवी "गाइड" का गीत बज रहा था "सैंया बेईमान, मोसे छल किये जाये" । सुनते सुनते मैं भाव विभोर हो गया । ख्वाब देखने लगा कि वो सैंया कैसा होगा जिसकी पत्नी या प्रेयसी सा
थूक कर चाटना इस संसार में बहुत सारी कलाएं विद्यमान हैं । एक से बढ़कर एक । तो महारथियों की भी कोई कमी नहीं है । एक से बढ़कर एक । कोई "लीपने" में सिद्धहस्त है तो कोई "कुरेदने" में दक्ष है । कोई "दु
आज तो साहित्यिक एप पर बड़ी गजब की रौनक छा रही थी । कारण यह था कि उस एप ने आज का विषय रखा था "परियों की दुनिया" । जिधर देखो उधर कोई न कोई परी इठला रही थी । उमंग और उत्साह से भरपूर । सौन्दर्य बिखेरत
वो काटा आज सारा जयपुर शहर छत पर आ गया है । मकर संक्रांति पर्व पर ही यह अद्भुत नजारा देखने को मिलता है । चारों ओर "वो काटा" , "वो मारा" का शोर वातावरण में गूंजता रहता है । सबके चेहरे खिले खिले रहते है
अजब सवालों के गजब जवाब मैं आज सुबह अपने घर की बालकानी में खड़े होकर नीचे सड़क पर मॉर्निंग वॉक करने वाले लोगों को देखने लगा । ऐसा मैं रोज करता हूं । एक घंटे बालकानी में खड़े खड़े मॉर्निंग वॉकर्स क
इस जहान में अगर किसी चीज की कद्र है तो वह है सुंदरता । अजी हम जैसे ऐरे गेरे नत्थू खैरों की बात छोड़ो , बड़े बड़े महान तपस्वी भी इसके आगे नतमस्तक होते हैं । अब महर्षि विश्वामित्र को ही देख लो। घोर तपस्
चरखे की ताकत सुना है कि आज यूक्रेन ने भारत से 1947 चरखे खरीदने का ऑर्डर दिया है । इस समाचार से यूक्रेन में खुशी की लहर दौड़ गई है । अब रूस की हार तय लग रही है । यूक्रेन की सड़कों पर लोग नाच रहे हैं
जिसे हम लोग कहते हैं भ्रष्टाचार असल में वह तो है बस शिष्टाचार "चाय पानी" कोई बुरी बात तो नहीं "दारू मुर्गी" कोई खैरात तो नहीं इनमें से कुछ भी ना हो तो कोई गम नहीं "रात का इंतज
"शादी क्या हुई , आफत मोल ले ली" हंसमुख लाल जी बड़बड़ाते चले जा रहे थे । वैसे एक राज की बात बताऊं आपको कि ऑफिस में जिनकी बात ना तो बॉस सुनता है और ना ही मातहत । यहां तक कि चपरासी भी पानी पिलाने से इंकार
गिद्धों में भयंकर बेचैनी थी । सारे गिद्ध इकट्ठे हो गए थे । सब मिलकर "मारो मारो" का शोर मचा रहे थे । इतने बेचैन हो गये थे सारे गिद्ध कि सामने वाले का नुक़सान करने के चक्कर में अपना ही नुकसान किए जा रहे
आजकल प्रतिलिपि जी को न जाने क्या हो गया है ? बड़ी बहकी बहकी सी नजर आ रही हैं इन दिनों । कोई जमाना था जब बड़ी रोमांटिक हुआ करती थीं किसी नव यौवना की तरह , जिसे उछलकूद पसंद है, प्रेम के रंग अपनी आंखों में
आज सुबह जैसे ही हम जगे , सामने श्रीमती जी चमकते चेहरे पर चार इंची मुस्कान लिये खड़ी थीं । सुबह सुबह से ऐसा चमकता चेहरा मुस्कान के साथ नजर आ जाये तो समझो दिन बन जाता है । हमने कहा "बड़ी खूबसूरत लग रही हो
बड़ा गजब का मेला लग रहा है आज । लेखन मंच ने सब लेखक लेखिकाओं को "श्रंगार" करके आने के लिए कहा है । लेखकगण को तो क्या श्रंगार करना था ? उनके पास है ही क्या जो उसका श्रंगार करें ? ले दे कर दो चार बाल बचे
आज सुबह सुबह "लेखन मंच" की सैर के लिए जा रहा था । पिछले दो वर्षों से जबसे पहली बार लॉकडाउन लगा था तबसे लेखन मंच की ही सैर कर रहा हूं । लॉकडाउन के कारण सब कुछ बंद था । बस लेखन मंच, संगीतमंच, मनोरंजन मं
ये क्या हो रहा है प्रतिलिपि जी , आप तो उंगली पकड़ते पकड़ते पहुंचा ही पकड़ने लगीं ? हमारी सारी पोल पट्टी खुलवा के ही मानोगी क्या ? और वो भी सबके सामने ? अब क्या है कि आपकी तो इज्जत है या नहीं , पता नहीं ?
मैंने कल जो कहा था वह आज सच हो गया है । मेरा भविष्यवक्ता का रूप भी अब स्थापित हो गया है । कल "वीर रस" की "टांग खिचाई" करते करते कह दिया था कि अभी तो और "रसों" को "निचोड़ने" का अवसर भी मिलेगा ।पर यह अवस
आज प्रतिलिपि सखि कहीं नजर नहीं आ रही थीं । पिछले दो साल से हम लोग आपस में जुड़े हुए हैं । सुख दुख में एक दूसरे से बतियाते रहते हैं । कभी दिल का गुबार निकाल लेते हैं तो कभी खुशियां आपस में बांट लेते हैं
अजी, पूछिए ही मत । दिल ने न जाने कितने अरमां पाले हैं मगर भाग्य के खेल निराले हैं । भाग्य से मां बाप, भाई बहन मिले । भाग्य से ही पत्नी मिली । अब ये ना कहना कि पत्नी तो हमने लालटेन की रोशनी में चप्पा च
कोई जमाना था जब पत्रकारिता एक जुनून हुआ करती थी । लोगों तक "खबर" पहुंचाना बहुत कठिन काम हुआ करता था । अंग्रेजों का राज था आखिर । ऐसे में कल्पना ही की जा सकती है कि "अखबार" निकालना और उसे लोगों तक पहुं
हरिवचन - 1 साथियो, कोरोना संकट में हम लोगों के लिए युद्ध स्तर पर जुटे समस्त डॉक्टर, मेडिकल टीम, सर्वे टीम, सफाई कर्मी , पुलिस प्रशासनिक अधिकारी , राजनेता, स्वयंसेवी संगठन आदि के अनथक परिश्रम , सेवा भा
कानपुर का मौसम आजकल कानपुर शहर का मौसम बहुत चर्चित है । हो भी क्यों नहीं । आखिर जून का महीना है और जून में तो उत्तर भारत में चिलचिलाती धूप रहती है जिसके कारण तापमान एवरेस्ट की तरह ऊंचा हो जाता है
हास्य-व्यंग्य : बरसातबरसात का जिक्र होते ही मन मयूर नाच उठता है । ऐसा लगता है कि जैसे जीवन में खुशियों की बहार आ गई है । पर ये बरसात भी बड़ी अजीब है । कहीं ज्यादा तो कहीं कम । कहीं बाढ़ ला देती है तो
किसी ने सोचा नहीं होगा कि 21 जुलाई, 2022 का दिन भारत के इतिहास में अमर हो जायेगा । इस दिन ऐसी ऐसी घटनाएं घटित होंगी जो अविश्वसनीय प्रतीत होती हैं । किसने सोचा था कि कोई अर्श से फर्श पर आ गिरेगा तो कोई
अभी कुछ दिनों पहले एक नेता ने कहा था कि वह बहुत "नंगा" आदमी है , उससे पंगा ना लेना नहीं तो वह गंगा पहुंचा देगा । उसने गंगा पहुंचाने की बात नहीं कही थी , ये तो मैंने जोड़ दिया था । नंगा , पंगा के साथ ग
गांव में बहुत तेज हलचल हो रही थी । चारों तरफ कानाफूंसियों का दौर चल रहा था । आंखों ही आंखों में इशारे हो रहे थे । हर होठ पर एक मुस्कान थी । लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे । तीन साल का वक्त कोई कम होत