सन 1300 में दिल्ली पर अलाउद्दीन खिलजी का शासन था तब राजपूताना में अलग अलग रियासतों पर अलग अलग राजा राज कर रहे थे । रणथम्भौर पर हम्मीरसिंह, चित्तौड़गढपर राणा रतन सिंह और जालोर में राजा कान्हड़देव सोनगरा का राज्यथा । कान्हड़देव और उसका परमवीर पुत्र बीरम देव बड़े शूरवीर थे और रानी जैतल दे वीर, साहसी और शीलवान रानी थी । किस तरह राजा कान्हड़देव लड़ते लड़ते वीर गति को प्राप्त हुए और किस तरह रानी जैतल दे ने किस तरह जौहर किया , इसका सुंदर वर्णन इस कहानी में किया गया है ।
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