विभिन्न विषयों पर कविताओं का एक संग्रह है यह पुस्तक
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आंधी तूफान मुश्किल में जान शूल प्रस्तर शीशा बाधाएं तमाम रुके बिना थके बिना विपरीत आवाजें सुने बिना बढ आगे ही आगे खींच लक्ष्य के धागे परिश्रम
सागर का किनारा आज कितना उदास है ।तुम बिन ये मचलती लहरें भी हताश हैं ।।कभी इन लहरों पर मछलियों सी तैरती थी तू शाम की किरणों से सजकर परी लगती थी तू तेरे लिये ये हवाएं किस कदर बदहवास हैं त
उन्होंने हमें बहुत समझाया दो चार का उदाहरण भी गिनाया कहने लगे कि शादी वो लड्डू है जो खाये तो पछताये औरजो ना खाये वो भी पछताये तो हमने कहा कि जब पछताना ही है तो शादी कर के
<div align="left"><p dir="ltr">माना कि तुम पर कोई हक नहीं <br> पर यादों को कैसे रोक पाओगे <br> जब भी आयेगा बहारों का मौसम <br> तुम यादों में आकर बस जाओगे </p> <p dir="ltr">जब देखता
जब से हम प्रतिलिपि पर लिखने लगे श्रीमती जी को बहुत खटकने लगे इश्क मुहब्बत वाले गीत गजल मुक्तक और हसीन फोटो से वे उबलने लगे एक दिन स्टारमेकर पर गाते देख लिया किसी स्वर कोक
जब जब खोलता हूं अपनी यादों की डायरी तब तब निकल पड़ते हैं कुछ अहसास जो घुटकर रह गये अंतस में चीखते रहे अंदर ही अंदर पर बाहर ना आ सके । होठों ने आने ही नहीं दिया 
विजयदशमी के पावन पर्व पर सबको हार्दिक शुभकामनाएं दोहे क्रोध लोभ मद मोह सुन इनसे महाविनाश । काम, वासना, ईर्ष्या, द्वेष करते सत्यानाश ।। नवां दोष आलस्य है सब दोषों की खान ।
तेरी बेवफाई भी मंजूर है सनम हमें शुक्र है तूने कुछ देने लायक तो समझा श्री हरि 6.10.22
भौतिकतावाद अवसान गढ रहा है चारों तरफ आज अवसाद बढ रहा है बरबादी का सामान कंधों पर उठाकर इंसान अपनी मौत की सीढी चढ रहा है कोई बम फोड़ रहा है कोई सिर तोड़ रहा है कोई आंखें द
छल प्रपंच की दुनिया से ये मन भर गया झूठ के बोझ तले दबकर इंसान मर गया फरेब के बियाबान में ईमान कहीं गुम गया है बेईमानी के सर्फ से काला मन और निखर गया जिसे देखो वही दोहरी जिंदगी जी रहा
कट्टर ईमानदारी का लबादा ओढ़कर बेइमानी की नई इबारत गढ रहे हो झूठ की रोज नई नई दुकान खोलकर बासी, सड़ा हुआ माल बेच रहे हो मीडिया को कौड़ियों के भाव खरीद कर अपनी हवा हवाई छवि
जमाने के हर गम पर मैं सदा मुस्कुराता रहा । कुछ इसी तरह "श्री हरि" हर दिन बिताता रहा ।। पत्थर भी कम ना फेंके थे लोगों ने मेरी राह में । बस उनसे ही पुल बनाकर मैं मंजिलें पाता रहा ।। सुबह से ही चलन
कुछ लोग भारत जोड़ने में व्यस्त थे कुछ लोग "खड़ाऊ" के तिलक में मस्त थे कुछ लोग "हंगर इंडेक्स" की कलाबाजी से ग्रस्त थे तो कुछ गुजरात में झूठ बेचने में मदमस्त थे जिस देश का सूरज क
झूठ के बाजारों में सत्य का खरीददार कौन है बेइमानी का बोलबाला है ईमानदारी साधे मौन है चेला गुरू को ज्ञान सिखाता चोर पुलिस को डांटे "देशभक्ति" के प्रमाण पत्र "गद्दार" यहां पर बांटे&nbs
तर्ज : चंदन है इस देश की माटी दीप जले मन में आशा का मिट जाये सब अंधियारा । बुद्धि विवेक की ज्योति जले और घर घर फैले उजियारा ।। दुख, दारिद्रय, कलेश मिटें जीवन में खुशहाली चमके म
गीत : आज मैं खुलकर के ये ऐलान करता हूं हां मेरे यारा, मैं तुझसे प्यार करता हूं इश्क है तुझसे ये मैं इजहार करता हूं हां मेरे यारा, मैं तुझसे प्यार करता हूं दिल ही दिल में मैंने
आजादी के परवानों ने कुछ काम ऐसा कर दिया भारत माता की गोद को अपने लहू से भर दिया गुलामी की जंजीरों में जकड़ी हुई थी "आजादी" कैसे कोई देख सकता था अपने मुल्क की बरबादी हंसते हंसते