उठो- उठो तुम प्यारे बच्चों
ब्रह्ममुहूर्त का समय सुहाना
चिड़ियों ने भी गाया गाना
अधिक देर तक नहीं है सोना
सूरज नहीं जगाये तुमको
सूरज के लिए है तुम्हें जगाना ।।1।।
है प्रात: काल की पावन वेला
संग नहीं जो इसके खेला
फिर स्फूर्ति कैसे लाओगे
चला गया जो समय कीमती
पुनः कहां इसे तुम पाओगे
समय की कीमत को तुम समझो
नहीं जीवन भर पछताओगे ।।2।।
पलंग त्यागने से पहले तुम
वसुंधरा को वंदन करना
फिर हथेलियों का खुद की तुम
मुख अपने से चुम्बन करना
लक्ष्मी विष्णु और सरस्वती
वास यहां पर करती हैं
बच्चों के मन मस्तिष्क में वो
सद् बुद्धि को भरती है ।।3।।
प्रथम वंदन मात- पिता को
फिर अभिनंदन साथ सखा को
थोड़ा सा तुम योगा कर लो
इस काया को निरोगी कर लो
होकर तैयार तुम भोजन कर करना
एक नई उमंग को साथ में लेना
फिर विद्यालय पढ़ने जाना।।4।।
तू करके किसी को नहीं बोलो
किसी को तुम भी कभी ना बोलो
सभ्य यदि तुम बनना चाहो
तब आप ही कह कर सबसे बोलो
अच्छा संबोधन सबको भाता
सुनकर मन प्रफुल्लित हो जाता
अच्छे बच्चे बनकर तुम सब
दुनिया में फिर नाम कमाओ ।।5।।
- आदित्य यादव उर्फ
कुमार आदित्य यदुवंशी