जाने कैसी अजीब सी कशमकश है,
कुछ तो है जो बहुत करीब है,
पर खुद से बहुत दूर है,
आजकल तो दिल भी खुद की नहीं सुनता,
जैसे इसे किसी का इंतजार हो,
जैसे कोई आकर इसे पूरा कर दे,
और इस सूनी सी ज़िन्दगी को,
आकर फिर एक बार रंगों से भर दे।
कई बार समझाया इस दिल को,
की नादानियां ना करें,
उसे पाने की चाह ना रखे,
जो हाथों में ना लिखा हो,
पर ये सुनता ही नहीं,
इसे तो बस तुम्हारा इन्तज़ार है,
और तुम्हारे आने की आश है।।।।