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छठ पूजा

5 नवम्बर 2022

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दर्द, तकलीफ और पीड़ा,
ये क्या चीज है कभी उनसे पूछिए,
जो अपने ही घर में,
मेहमान बन कर आते है,
दिवाली, छठ पूजा के आते ही,
अपना बोरिया बिस्तर लेकर,
कुछ सुकून के पल बिताने,
अपने गांव आते है,
और छठ के अगले दिन ही,
बड़े बोझिल मन से,
ठेकुआ, पिरुकिया और ढेरों यादों,
को उसी बोरिए में बंद कर,
के वापिस से शहर लौट जाते है, 
बड़ी तकलीफ होती है,
जब ना ढंग से मां बाबू, 
से बात हो पाती है और न, 
कुछ सुकू के पल,
अंबिया के गाछ के नीचे बीता पाते है.......

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