मैं एक किताब लिखना चाहता हूँ ,
मेरे सपनों की किताब ,
जिसमें कहानियां हो ,
कवितायें हो ,
और उन कहानियों कविताओं में ,
सिर्फ खुशियां हो ,
उन कहानियों में ,
लड़कियां आजाद हो ,
उन्हें फैसले लेने का अधिकार हो ,
उन्हें खुल कर जीने पर बंदिशें ना हो ,
उन्हें समाज का भय ना हो ,
अंधेरा होते ही घर लौटने की मजबूरी ना हो ,
और उनपर अपने फैसले ना थोपे जाते हो ,
मैं एक किताब लिखना चाहता हूँ ,
मेरे सपनों की किताब ,
जिसमें लड़के लड़कियों की इज़्ज़त करें ,
लड़कों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो ,
अकेली लड़की जिसमें अवसर नहीं ,
जिम्मेदारी हो ,
मैं एक किताब लिखना चाहता हूँ ,
मेरे सपनों की किताब ,
जिसमें चारों तरफ बराबरी का एहसास हो ,
अपनेपन का भाव हो ,
एकजुटता की भावना हो ,
और सामाजिक जिम्मेदारी हो ,
क्या सिर्फ ये सब ,
मेरे सपनों की किताब तक सीमित रह जाएगा ,
या वो वक्त भी आएगा ,
जब सपने साकार होंगे.....