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इंतजार 2

9 सितम्बर 2021

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आज फिर इंतज़ार ही रह गया,
फिर एक बार बातें जो तुमसे करनी थी,
अधूरी रह गई,
आज फिर एक बार शाम,
तुम्हारे बिन ही तुम्हारी यादों में गुजरी है,
जाने कब ये इंतज़ार ख़तम होगा,
और हर सुबह तुम्हारा पैगाम आएगा,
जाने कब तुम्हे हमारी मोहब्बत की खबर होगी,
और ये इंतज़ार का सिलसिला ख़तम होगा......

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मजदूर

6 सितम्बर 2021
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इंतजार

7 सितम्बर 2021
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नीली आंखें

13 अक्टूबर 2021
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मुझे तुमसे प्यार नहीं

21 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">कैसे कह दूं मुझे तुमसे प्यार नहीं,<br> आज भी हर सुबह तुम्हारा इंतज़ार

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मैं और तुम

23 फरवरी 2022
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मैं बनारस की घाट,तो तुम कलकल बहती गंगा की धारा बन जाना,मैं तपती धूप,तो तुम सुबह की ओस बन जाना, तुम कभी ढलती शाम,तो मैं चांदनी रात बन जाऊंगा,कितने हसीन वो पल होंगे,कभी तुम मैं बन जाना,और कभी मैं त

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तुम

18 अप्रैल 2022
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आज भी तुम मुझमें मौजूद हो,कभी चेहरे की हंसी बनकर,तो कभी आंखों की नमी बनकर......

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इश्क

27 मई 2022
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कुछ तो मौसम की खुमारी थी,और कुछ तुम्हारी अदाएं बेईमान थी,यूं ही नहीं हारा था दिल तुम पर,कुछ तुम्हारी आंखों का कमाल था,और कुछ खनकती पायल का आलम था.....

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छठ पूजा

5 नवम्बर 2022
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दर्द, तकलीफ और पीड़ा,ये क्या चीज है कभी उनसे पूछिए,जो अपने ही घर में,मेहमान बन कर आते है,दिवाली, छठ पूजा के आते ही,अपना बोरिया बिस्तर लेकर,कुछ सुकून के पल बिताने,अपने गांव आते है,और छठ के अगले दिन ही,

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इश्क दी बाजियां

6 नवम्बर 2022
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सुनो,फिर एक बार, गुलाबी ठंड ने दस्तक दी है,पसंद था ना तुम्हे ये मौसम,हल्की गुनगुनी धूप,पर देखो ये मौसम,ठंडी हवा के साथ साथ,तुम्हारी यादें भी ले आई है,पर आलम ऐसा है की,ना तुम आई,और न पहले वाली वो

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इश्क और इंतजार

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने लगी है,इस से पहले की रात का अंधियारा दिल में उतर जाए,हम लौट जाएंगे आसियाने की तरफ,ताकि अगली सुबह जब सूर्य अपने किरणें बिखेडे,तो फिर एक बार दिल में,तेरे वापिस आने की आस जगे,और हम तेरे इंतजार म

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सपनों की किताब

2 सितम्बर 2024
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मैं एक किताब लिखना चाहता हूँ ,मेरे सपनों की किताब ,जिसमें कहानियां हो ,कवितायें हो ,और उन कहानियों कविताओं में ,सिर्फ खुशियां हो ,उन कहानियों में ,लड़कियां आजाद हो ,उन्हें फैसले लेने का अधिकार हो ,उन्

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बुलडोज़र न्याय

3 सितम्बर 2024
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भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां कोई भी फैसला लोकतंत्र के दायरे में रहकर करना चाहिए। अगर आप इस देश को निरंकुशता की तरफ धकेलना चाहते है तो फिर तो कोई बात नहीं लेकिन अगर लोकतंत्र की गरिमा बरकरार रखनी

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