आज फिर इंतज़ार ही रह गया,
फिर एक बार बातें जो तुमसे करनी थी,
अधूरी रह गई,
आज फिर एक बार शाम,
तुम्हारे बिन ही तुम्हारी यादों में गुजरी है,
जाने कब ये इंतज़ार ख़तम होगा,
और हर सुबह तुम्हारा पैगाम आएगा,
जाने कब तुम्हे हमारी मोहब्बत की खबर होगी,
और ये इंतज़ार का सिलसिला ख़तम होगा......