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निशब्द मैं

17 जनवरी 2022

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अपनी हर जीत को 
मेरी हार ना समझ लेना 
मेरी हर हार को 
अपनी जीत न समझ लेना 
हां में मिली हां को 
मेरी हां ना समझ लेना 
मेरी चुप्पी को 
मेरी खामोशी न समझ लेना 
मेरी हर हार को 
अपनी जीत न समझ लेना 
टूटती है जब चुप्पी मेरी 
तो खामोश रह सुन पाती हूं निशब्द चुप्पी को 
अपनी हर जीत को मेरी हार न समझ लेना 
हर समय मुस्कुराते चेहरे को
पढ़ना आसान नहीं होता 
चेहरे के पीछे के चेहरे को
देखना आसां नहीं होता 
खामोशियों का उबाल बैठता है 
अपने आप से बात करने पर 
अपनी हर जीत को 
मेरी हार ना समझ लेना
मेरी हर हार को अपनी जीत न समझ लेना


जया शर्मा 

Suman verma

Suman verma

Very nice mam

29 जनवरी 2022

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

अच्छा लिखा है।👍👍

18 जनवरी 2022

1
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