shabd-logo

common.aboutWriter

Other Language Profiles
no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

James Joyce Ki Lokpriya Kahaniyan

James Joyce Ki Lokpriya Kahaniyan

शाम का समय था। वह खिड़की के परदों से अपना सिर सटाकर बैठी बाहर की ओर देख रही थी। लोग चले जा रहे थे। आखिरी छोरवाले मकान में रहनेवाला आदमी भी अपने घर की ओर जा रहा था, जिसके कदमों की आवाज उसे साफ सुनाई दे रही थी। यहाँ कभी एक मैदान हुआ करता था, जिसमें रोज

0 common.readCount
0 common.articles
common.personBought

प्रिंट बुक:

300/-

James Joyce Ki Lokpriya Kahaniyan

James Joyce Ki Lokpriya Kahaniyan

शाम का समय था। वह खिड़की के परदों से अपना सिर सटाकर बैठी बाहर की ओर देख रही थी। लोग चले जा रहे थे। आखिरी छोरवाले मकान में रहनेवाला आदमी भी अपने घर की ओर जा रहा था, जिसके कदमों की आवाज उसे साफ सुनाई दे रही थी। यहाँ कभी एक मैदान हुआ करता था, जिसमें रोज

0 common.readCount
0 common.articles
common.personBought

प्रिंट बुक:

300/-

common.kelekh

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए