ज़िन्दगी एक कूप में जैसे फँसी हो ज़िन्दगी; आधी-अधूरी-चौथाई ज़िन्दगी; टुकड़े-टुकड़े बिखरकर फैली हुई ज़िन्दगी। समेटकर सहेजने के प्रयास में कैकेयी के कोप-भवन सी और बिफरती हुई ज़िन्दगी; संवार कर
सर्व देवस्य स्तुति रहो भवानी साथ तुम जब तक हो पूर्ण ये काज, नील पदम् व्रत ले लिया कीजो सुफल सो काज। श्रीमुख श्री गणेश जी विरजो कलम में आय, रहो सहाय नाथ तुम ज्यों व्यास को भये सहाय। जय माँ व
काश ये क़यामत थोड़ा पहले आती, ख़ुदा की कसम कोई बात बन जाती, अपनी आँखों में होती चमक सितारों की, ज़िन्दगी किस कदर बदल जाती । यूँही फिरते रहे अंधेरों में, बेसबब, बेपरवाह यूँही एकाकी, दीप जलाने का होश
ये कदम रुके नहीं, अब कभी थके नहीं, आसमान की परिक्रमा ही लक्ष्य है। @नील पदम्
कल की जैसे बात है, नारी कमजोर जात है, पर कौन अब कहेगा, ये अशक्त है। @नील पदम्
कट गईं हैं बेड़ियाँ, सब हटी हैं रूढ़ियाँ, अब पुरुषों से आगे मातृ-शक्ति है। @नील पदम्
सीढियां जो न चढ़ा, रह गया वहीं खड़ा, वो देखते ही देखते विलुप्त है। @नील पदम्
वो करेंगे क्या भला, दो कदम जो न चला, जागने की हो घड़ी पर सुप्त है। @नील पदम्
जो हो रहा है, जब होना वही है, तो काहे का रोना, जो होना नहीं है । @नील पदम्
बादा का वादा था, लेकिन जाम आधा था, पूरा भरकर ले आते, मेरा पूरा का इरादा था । @नील पदम् बादा = शराब
स्वार्थ के पेड़ पर जब लोभ भी चढ़ जाता है, जंगल के गीत सबसे ज्यादा लकड़हारा गाता है । @नील पदम्
काली अंधियारी रात में चाँद का टुकड़ा जैसे, रोती रेत के बीच में हरियाली का मुखड़ा जैसे, जब तूने खोल कर अपनी सुरमई आँखों से देखा, मुझे ऐसा ही कुछ लगा था उस वक़्त विल्कुल ऐसे । @नील
है दौर चला कैसा, है किसकी कदर देखो, पैसों की सिगरेट है, मक्कार धुआं देखो। सीधे-सरल लोगों की दाल नहीं गलती, अब टेढ़ी उंगली है हर सीधी जगह देखो । @नील पदम्
तेरा नाम नहीं लेंगे पर तू ही निशाना है, तेरे भरोसे उन्हें, व्यापार चलाना है । @नील पदम्
काल के कुचक्र के रौंदें हुए हैं हम, महामारियों के दौर में पैदा हुए हैं हम, पर्यावरण, पृथ्वी, आवो-हवा से हमें क्या, बस खोखले विकास में बहरे हुए हैं हम । @नील पदम्
शतरंज की बिसात सी बनी है ज़िन्दगी, खुली हुई क़िताब के मानिंद कर निकल। भूल जा हर तलब, हर इक नशा औ जख्म, अब तो बस एक रब का तलबगार बन निकल। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”
जब अजनबी से बढ़ी नजदीकियां, तो जाना कि कितना है अजनबी वो । @नील पदम्
मैं तुझे ज़िन्दगी पुकारूँगा, मैं तेरा नाम कुछ सुधारूँगा । @नील पदम्
तब कहती थीं कि नहीं, अभी कुछ भी नहीं, अब कहती हो की नहीं, अब कुछ भी नहीं, सच कब बोला तुमने, अब या तब, झूठ कब कहा तुमने, अब या तब । @नील पदम्
वो अब कभी किसी भी गली में दिख नहीं सकते भटकते आवारा, कैद कर लिया है अब उनको, दिल के कारागारों में हमने । @नील पदम्