यह कहानी एक छोटे से गाँव की है जहाँ एक बुजुर्ग किसान, रमेश जी, अपने खेतों और प्रकृति से बहुत लगाव रखते हैं। रमेश जी के पास ज़्यादा संपत्ति नहीं है, पर उनका मन बहुत धनी है। वो मानते हैं कि धरती माँ की
पर्यावरण अनुकूल जीवनपेड़ लगाएं, हरियाली लाएं,धरती को हरा-भरा बनाएं।साफ हवा और स्वच्छ जल,सबका ये है पहला फल।हर जीव का है अधिकार,पर्यावरण का मिले उसे प्यार।बिना प्रदूषण, बिना कचरा,सभी का सपना हो हरा।प्ल
इस संसार में सभी जीव एक दूसरे से सम्बंधित हैं। यह जानना मनुष्य के लिए जरूरी और प्राथनीय भी है। जिस ग्रह में हम रहते हैं उस ग्रह के हम चेतनावान प्राणी हैं ऐसा हम मानते हैं ये हमारे द्वारा ही माना ग