भर्तृहरि वैराग्य शतक
!!ॐ!!
धनानि भूमौ पशवः हि गोष्ठे, नारि गृहद्वारि जनाः श्मशाने !
देहश्चितायाम् परलोक मार्गे, धर्मानुगो गच्छति जीवः एकः !!
शरीर शांत होने पर धन सम्पदा भूमि पर ही पड़ी रह जाती है, पशु अस्तबल में रह जाते हैं [वर्तमान संदर्भ में मोटर गाडियाँ], पत्नि घर के द्वार तक साथ देती है, बंधुजन श्मशान तक साथ चलते