जब टूटा गुरुर भाग 3
कामिनी का थप्पड़ खाते ही आराधना जैसे नींद से जाग गई उसने चौंककर कामिनी की ओर देखा फिर दर्द भरी मुस्कुराहट के साथ कहा "भाभी और मारिए यह दर्द तो कुछ भी नहीं है उस दर्द के आगे जो दर्द आपके देवर ने मुझे दिया है"
" आराधना तुम्हें शेखर कहां मिला क्या तुम शेखर के पास गई थी और शेखर ने कैसा दर्द तुम्हें दिया है मुझे बताओ तभी तो हमें कुछ पता चलेगा तुम क्या कह रही हो क्या कहना चाहती हो मेरी समझ से परे है" कामिनी ने परेशानी भरे लहज़े में पूछा
" भाभी आपको सच में कुछ पता नहीं है या आप ना जानने का नाटक कर रही हैं" अचानक आराधना ने कामिनी को गहरी नज़रों से देखते हुए गुस्से में पूछा
" आराधना•••आ•• " कामिनी आराधना के व्यंग को सुनकर तड़प उठी फिर गम्भीर लहज़े में कहा " मुझे लगता है तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है जो तुम उटपटांग बोले जा रही हो अगर तुम मज़ाक कर रही हो तो बहुत ही घटिया मज़ाक है और अगर सोच-समझकर कह रही हो तो लगता है कि, तुम्हारी सहेली मधु ने तुम्हारा दिमाग ख़राब कर दिया है क्योंकि तुम्हारी मां के कहने के मुताबिक तुम अपनी सहेली मधु से ही मिलने गई थीं" कामिनी ने बहुत ही कठोरता से गम्भीर लहज़े में कहा
" हां हां मेरा दिमाग ख़राब हो गया है और मेरा दिमाग मेरी सहेली मधु ने ही ख़राब किया है मैं पागल हो गई हूं पर मुझे पागल बनाने वाला कौन है क्या आप जानती हैं? मैं ही बता देती हूं आप का ही लाड़ला देवर शेखर वह मुझसे ज्यादा आपके क़रीब है तो ऐसा कैसे हो सकता है कि, उसके महान कार्य का पता उसकी भाभी को न हो आप ही उसकी महानता के कसीद़े पढ़ती रहतीं हैं" आराधना ने चिढ़ते हुए कहा
" छोटी बहूरानी आप बड़ी बहू से किस तरह बात कर रहीं हैं आज आप अपनी मर्यादा भूल गई हैं" दीनू काका ने गम्भीर लहज़े में कहा
" अब घर का नौकर हमें मर्यादा सिखाएगा नौकर हो अपनी औकात न भूलो" आराधना ने गुस्से में कहा
आराधना का यह रूप देखकर सभी स्तब्ध रह गए फिर कामिनी ने कठोरता से कहा,
" आराधना लगता है सच में तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है तुम दीनू काका से किस तरह बात कर रही हो तुम्हें पता है कि,दीनू काका इस घर के नौकर नहीं बल्कि सदस्य हैं तुम जानती हो पापा जी उन्हें अपना छोटा भाई मानते थे। तुमने मेरा अपमान किया मैंने बर्दाश्त कर लिया पर मैं दीनू काका का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती मुझे समझ नहीं आ रहा है कि, तुम्हें क्या हो गया है कहीं कोई बुरी आत्मा तो नहीं तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर गई है जिसके कारण तुम बड़ों से बात करने की तमीज भूल गई हो? तुम अभी दीनू काका से माफी मांगों वरना तुम्हारी इस हरकत के विषय में मुझे मां जी से कहना पड़ेगा" कामिनी ने गुस्से में कहा
" मैं किसी से कोई माफ़ी नहीं मांगूंगी मैं आपसे जो पूछ रही हूं पहले उसका जवाब दीजिए? क्या शेखर की करतूतों के बारे में आपको पहले से जानकारी थी?" आराधना ने कामिनी की बात काटकर प्रश्न किया।
" आराधना तुम्हें क्या हो गया है कैसी पहेलियां बुझा रही हो शेखर ने क्या किया है मुझे कुछ नहीं पता है पर पहले यह तो बताओ उसने किया क्या है"? कामिनी ने गुस्से में झल्लाकर पूछा
कामिनी का गुस्सा देखकर पहले तो आराधना थोड़ा सहम गई पर फिर गुस्से में बोली " अब आपको उसकी करतूतें छुपाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब मैं सब कुछ जान गई हूं आप लोगों ने मिलकर मेरे साथ ऐसा किया मैं सोच भी नहीं सकती थी । आप मेरे साथ ऐसा करेगी मैं आपको अपनी बड़ी बहन समझती थी पर आप सिर्फ़ मेरी जेठानी बनकर रह गई"
कामिनी ने आराधना की बात सुनकर लम्बी सांस ली और गम्भीर लहज़े में कहा " अब मैं तुमसे कुछ नहीं पूछूंगी तुम्हें बताना है तो बताओ वरना जब शेखर आएगा तो मैं खुद उससे पूंछ लूंगी" इतना कहकर कामिनी वहां से जाने लगी।
" उससे क्या पूछेंगी मैं खुद ही बता देती हूं उसने दूसरी शादी कर ली और उसके दो बच्चे भी हैं जो खुशी मैं इस घर को नहीं दे सकी वह खुशी शेखर की दूसरी पत्नी ने दे दिया है अब तो आपको पता चल गया कि, मैं क्या कहना चाहती हूं" आराधना ने दर्द भरी आवाज़ में रोते हुए कहा।
आराधना की बात कामिनी स्तब्ध होकर सुनती रह गई उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह आश्चर्यचकित होकर कामिनी को देखे जा रही थी वह बोलने की कोशिश करने लगी पर उसके मुंह से आवाज़ नहीं निकल रही थी वह भौंचक्की सी खड़ी रह गई आराधना की बात सुनकर उसका सिर चकराने लगा वह अपना सिर पकड़कर वहीं बिस्तर पर बैठ गई।
फिर अचानक कामिनी के मुंह से आह भरी दर्द में डूबी आवाज निकली "यह नहीं हो सकता शेखर ऐसा नहीं कर सकता वह तुम्हें ऐसा दर्द नहीं दे सकता आराधना कह दो जो तुमने कहा वह सब झूठ है••••"
क्रमशः
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
25/1/2022