जब टूटा गुरूर भाग 2
" आराधना दरवाजा खोलो जब-तक तुम कुछ कहोगी नहीं हमें कैसे पता चलेगा कि, मधु के घर पर ऐसा क्या हुआ जिसने तुम्हारी यह हालत कर दी तुम्हारी मां का फोन आया था उन्होंने मुझे बताया कि, तुम अपनी सहेली मधु से मिलने गई थी।मेरी बात सुनो दरवाजा खोलो अगर तुमने दरवाजा नहीं खोला तो मुझे शेखर को बताना होगा। तुम जानती हो वह तुम्हें कितना प्यार करता है यह बात मैं नहीं तुम खुद कहती हो जब वह तुम्हारे बारे में सुनेगा तो घबरा जाएगा क्या तुम चाहती हो की वह परेशान हो और अपना अधूरा काम छोड़कर यहां चला आए" कामिनी ने अपना आखिरी दांव फेंका
कामिनी की बात सुनकर आराधना की सिसकारियां और तेज़ हो गई फिर अचानक कमरे में सन्नाटा छा गया कामिनी वहीं खड़ी रही कुछ देर बाद दरवाजा खुला सामने आराधना खड़ी थी आराधना को देखकर कामिनी चौंक गई आराधना के बाल अभी भी बिखरे हुए थे आंखें रो-रोकर सूज गई थी पर अब आराधना के शरीर पर सुहागिनों के चिन्ह नहीं थे न उसकी मांग में सिंदूर था न माथे पर बिंदिया और न ही शरीर पर रंगीन साड़ी आराधना ने इस समय सफ़ेद रंग की साड़ी पहनी हुई थी उसके गले में मंगल सूत्र भी नहीं था।
आराधना का ऐसा रूप देखकर कामिनी सकते में आ गई उसने आगे बढ़कर आराधना को झकझोरते हुए कहा " आराधना तुम्हें क्या हो गया है तुमने ऐसा रूप क्यों बनाया हुआ है क्या हुआ शेखर को शेखर कहां है तुम कुछ बोलती क्यों नहीं यह सब क्या है कुछ तो बताओ मेरा दिल बैठा जा रहा है प्लीज़ आराधना कुछ तो बोलो कुछ तो बोलो यह सब क्या है"?? कामिनी ने रोते हुए पूछा
कामिनी की बात सुनकर पहले आराधना खिलखिला कर हंसने लगी फिर अचानक चुप हो गई फिर मुस्कुराकर कामिनी की तरफ़ देखकर कहने लगी "भाभी आपको तो पता है की मैं श्रृंगार शेखर के लिए करती हूं अब मुझे श्रृंगार करने की कोई जरूरत नहीं है शेखर ने मुझसे मेरा श्रृंगार,मेरा स्वाभिमान,मेरी आत्मा सब कुछ छिन लिया आपको पता है भाभी उसने तो मेरे जीने की आस मेरे गुरूर को तोड़ दिया भाभी मेरा गुरूर टूट गया ••••मेरा गुरूर टूट गया इतना कहते-कहते आराधना बेहोश होकर जमीन पर गिरने लगी कामिनी ने बहुत मुश्किल से उसे गिरने से बचाया वह आराधना को संभालते हुए उसके साथ ज़मीन पर बैठ गई।
" दीनू काका••••का••का बिंदिया•••आ•• जल्दी यहां आओ देखो आराधना बेहोश हो गई है "कामिनी ने घबराकर जोर से आवाज लगाई।
कामिनी की आवाज सुनकर दीनू काका और बिंदिया दौड़ते हुए कमरे में पहुंचे वहां का दृश्य देखकर चौंक गए फिर दोनों ने सबसे पहले आराधना को उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया उन दोनों के चेहरे पर भी घबराहट और आश्चर्य के भाव दिखाई दे रहे थे।
" बड़ी भाभी छोटी भाभी यहां कैसे यह तो अपनी मां से मिलने गई थीं यह कब आई और इन्हें क्या हो गया छोटी भाभी ने कैसे कपड़े पहने हैं इन्हें तो सफ़ेद रंग से नफ़रत है बड़ी भाभी यह सब क्या है"? बिंदिया ने आश्चर्य से पूछा
" हां बहूरानी यह सब क्या है और छोटी बहू मायके से कब लौटी और ऐसी हालत में मैं तो बिंदिया को लेकर बाजार चला गया था घर का सामान लेने अभी-अभी जैसे मैं घर में दाखिल हुआ आपकी आवाज़ सुनकर मैं तो घबरा गया" दीनू काका ने गम्भीर लहज़े में कहा
" काका मुझे कुछ नहीं पता क्या हुआ कैसे हुआ किसने किया मैं तो खुद कुछ नहीं समझ पा रही हूं कि, आराधना के साथ ऐसा क्या हुआ अभी दो घंटे पहले ही तो यह यहां आई है तब से कमरे में बंद थी और जब बाहर निकली तो बहकी-बहकी बातें करने लगी और फिर बेहोश हो गई" कामिनी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ दिखाई दे रहीं थीं।
उधर बिंदिया पानी लेकर आराधना के चेहरे पर छिटें मारने लगी आराधना ने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली उसके चेहरे पर उदासी और आंखों में वीरानी छाई हुई थी वह शून्य में देखे जा रही थी।
आराधना को होश में आया देखकर कामिनी उसके पास आकर बैठी गई और बहुत प्यार से उसके बालों पर हाथ फेरने लगी कामिनी का प्यार देखकर आराधना की आंखें भर आईं और उसकी आंखों से आंसूओं की धारा बहने लगी उसने रोते हुए कहा "भाभी मेरी सुन्दरता का गुरूर टूट गया शेखर ने मेरा गुरूर तोड़कर मुझे जिंदा लाश बना डाला इससे अच्छा था वह मुझे जान से मार देते। उसने ऐसा क्यों किया भाभी क्यों किया मैंने उसका क्या बिगाड़ा था मैंने उस पर भरोसा किया और उसने मेरे ही पीठ में खंजर घोंप दिया भाभी मुझमें क्या कमी है क्या मैं सुन्दर नहीं हूं अपनी सुन्दरता को बनाए रखने के लिए ही तो मैं मां नहीं बनी शेखर का प्यार मेरा गुरूर था आज वह ही टूट गया" आराधना इतना कहते-कहते फिर रोने लगी
आराधना को रोता देखकर कामिनी ने उसे चुप कराते हुए कहा " आराधना क्या बात हुई है तुम कैसी बहकी-बहकी बातें कर रही हो शेखर ने तुम्हारा गुरूर तोड़ दिया उसने तुम्हें धोखा दिया मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है तुम कहना क्या चाह रही हो साफ-साफ बताओ पहेलियां न बूझाओं मेरा दिल बैठा जा रहा है" कामिनी ने आराधना को देखते हुए परेशानी भरे स्वर में पूछा
आराधना ने कामिनी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और अपनी ही रौ में कहती रही " भाभी क्या आप सभी को पता था कि, शेखर आफिस के काम के बहाने कहां जाता है"??
" आराधना होश में आओ•••• कामिनी ने आराधना को झकझोरते हुए चिल्लाकर कहा और उसके मुंह पर एक थप्पड़ जड़ दिया••••
क्रमशः
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
24/1/2022