जब टूटा गुरुर भाग 1
दरवाजे की घंटी लगातार बजती जा रही थी घंटी की आवाज़ सुनाई कामिनी ने झल्लाकर कर कहा आ रहीं हूं भाई थोड़ा तो सब्र करो इतना कहते हुए कामिनी ने दरवाजा खोला तो सामने उसकी देवरानी आराधना खड़ी हुई थी जिसके बाल बिखरे हुए थे आंखें रो-रोकर सूज गई थीं उसका सुन्दर चेहरा मुरझा गया था। आराधना की ऐसी हालत देखकर कामिनी का दिल किसी बुरी आशंका से घबराने लगा उसने जल्दी से पूछा "क्या हुआ आराधना तुमने अपनी क्या हालत बना रखी है मां जी तो ठीक हैं तुम इतनी जल्दी क्यों लौट आईं" आराधना ने कोई जवाब नहीं दिया उसको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं है और वह घर के अंदर दाखिल होकर सीधे अपने कमरे की ओर बढ़ गई और कमरे में जाकर अन्दर से दरवाज़ा बंद कर लिया।
कामिनी आराधना के पीछे-पीछे उसके कमरे तक गई पर उसके कमरे तक पहुंचने के पहले ही आराधना ने कमरा बंद कर लिया।
"आराधना दरवाजा खोलो तुम्हें क्या हो गया है तुमने अन्दर से दरवाज़ा क्यों बंद कर लिया मेरी बात सुनो" आराधना की जेठानी कामिनी आराधना के कमरे का दरवाज़ा खटखटाते हुए उसे आवाज़ दे रही थी पर आराधना ने कोई जवाब नहीं दिया और न ही दरवाजा खोला पर अन्दर कमरे से उसकी सिसकारियों की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रहीं थीं।
कामिनी कुछ देर कमरे के बाहर खड़ी रही उसने कई बार दरवाजा खटखटाया पर जब आराधना ने दरवाजा नहीं खोला तो कामिनी के चेहरे पर परेशानी के भाव दिखाई देने लगे उसने लम्बी सांस ली और वहां से हटकर हाल में आकर सोफे पर बैठ गई उसके चेहरे पर असमंजस के भाव थे।
कामिनी समझ नहीं पा रही थी कि, आराधना के साथ ऐसा क्या हो गया है वह कल ही अपनी मां से मिलने अपने मायके गई थी उसे दो दिन बाद आना था आराधना के पति कामिनी का देवर शेखर भी आफिस के काम से एक सप्ताह के लिए बाहर गया है कल आराधना की मां का फोन आया की उनकी तबीयत ठीक नहीं है वह आराधना को याद कर रही थी यह सुनकर आराधना मां से मिलने चली गई आराधना का मायेका दूसरे शहर में है पर वहां पहुंचने में सिर्फ़ दो घंटे का समय लगता है। इसलिए आराधना कल ही अपनी मां से मिलने चली गई थी उसने कहा था कि,वह कुछ दिन अपनी मां के पास रहेगी फिर वापस आएगी फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि, आराधना कल गई और आज ही वापस आ गई और वह भी ऐसी स्थिति में मुरझाया हुआ चेहरा बिखरे बाल सूजी हुई आंखों के साथ और आते ही अपने कमरे में बंद हो गई मायके में ऐसा क्या हो गया जो उसकी ऐसी हालत हो गई।
इस समय घर पर और कोई था भी नहीं देवर शेखर आफिस के काम से शहर के बाहर गया है कामिनी के पति विनय अपनी कम्पनी की तरह से छः महीने के लिए अमेरिका गए हुए हैं और सास अपनी बहन की बेटी की शादी में गई हुई हैं कामिनी के दोनों बच्चे कालेज की तरफ़ से नैनीताल गए हुए थे। कामिनी को समझ नहीं आ रहा था कि,वह क्या करे किससे बात करे तभी उसने सोचा कि,वह आराधना की मां को फोन करके पूछें कि, वहां ऐसा क्या हुआ जो आराधना ऐसी हालत में यहां आई है फिर अचानक कामिनी ने सोचा कहीं ऐसा तो नहीं की रास्ते में कुछ हुआ और आराधना की मां को इसके बारे में कोई जानकारी ही न हो और अगर उन्हें अपनी बेटी के बारे में पता चला तो वह परेशान हो जाएगी उनकी तबीयत पहले ही ख़राब है बेटी की हालत जानकर उनकी तबीयत कहीं ज्यादा न बिगड़ जाए यह विचार आते ही कामिनी ने आराधना की मां को फोन करने का विचार त्याग दिया।
तभी कामिनी का फोन बजने लगा कामिनी ने देखा फोन आराधना की मां का था उसने जल्दी से फोन उठा लिया उधर से घबराई हुई आवाज़ आई "बेटी कामिनी आराधना का फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा है वह घर पहुंची की नहीं मेरा मन बहुत घबरा रहा है वह मेरे रोकने के बाद भी यहां से चली गई पता नहीं अचानक उसे क्या हो गया मैंने उसे बहुत रोकने की कोशिश की पर वह बिना कुछ कहे यहां से चली गई"
" मां जी उसने तो यहां जाने से पहले कहा था कि,वह चार-पांच दिन आपके पास रहेगी फिर अचानक दूसरे दिन ही क्यों लौट आई मां जी क्या वहां कुछ हुआ था कोई लड़ाई-झगड़ा आराधना अभी थोड़ी देर पहले ही पहुंची है पर वह पहले वाली आराधना नहीं है वह तो कोई टूटी असहाय चोट खाई औरत लग रही है उसके होंठों की हंसी उसके चेहरे की गर्वीली मुस्कान उसका गुरूर सब टूटा बिखरा हुआ दिखाई दे रहा है मैं आपको फ़ोन करके उसके विषय में पूछने वाली थी पर मैंने सोचा कहीं आप यह सब सुनकर परेशान न हो जाए। आप मुझे बताएगी कि, वहां ऐसा क्या हुआ है जो एक ही रात में आराधना की हालत किसी हारे जुआरी की तरह हो गईं उनकी हालत देखकर ऐसा लग रहा है जैसे वह अपना सब कुछ गंवा बैठी है वह कुछ बताने की स्थिति में ही नहीं है उसने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया है।
इस समय घर पर मेरे अलावा कोई और है भी नहीं आप अगर कुछ बताएंगी तो शायद मैं कुछ कर सकूं अगर हो सके तो आप भी कल यहां आ जाइए" कामिनी ने दुखी होकर यह बात कही
" कामिनी बिटिया मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है कि, आराधना को अचानक क्या हो गया वह कल शाम को जब मेरे पास पहुंची तो बहुत खुश थी हम लोग देर रात तक बात करते रहे उसके बाद हम सो गए सुबह उठने के बाद भी वह बहुत खुश थी अगल-बगल के लोग भी उससे मिलने आए सबसे उसने बहुत अच्छी तरह बात की फिर उसने कहा मां मैं अपनी सहेली मधु से मिलने जा रही हूं देर से वापस आऊंगी पर वह जल्दी ही वापस आ गई और अपना सामान पैक कर बोली की वह अपने घर जा रही है। मैंने पूछा अचानक घर क्यों जा रही हो? उसने वीरान नज़रों से मुझे देखा उसकी आंखों में दर्द ही दर्द दिखाई दे रहा था मैंने बहुत पूछने की कोशिश की क्या हुआ उसे वह तो खुशी-खुशी अपनी सहेली से मिलने गई थी वहां ऐसा क्या हुआ जो वह दर्द की सौगात लेकर लौटी बस और इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं जानती बेटी तुम उससे बात करो और उसके मन के दर्द को जानने की कोशिश करो मेरा मन बहुत घबरा रहा है" इतना कहकर आराधना की मां फूट-फूटकर रोने लगी
"मां जी आप रोइए नहीं चुप हो जाइए मैं कल ड्राइवर को गाड़ी लेकर भेज दूंगी आप यहां चली आइए हम दोनों मिलकर आराधना से बात करेंगे अभी मां जी, इन्हें और देवर जी को कुछ बताना ठीक नहीं है पहले हम आराधना से बात करें तब किसी से कुछ बताया जाए जब-तक हमें पूरी जानकारी न हो जाए किसी और को परेशान करना उचित नहीं है" कामिनी ने गम्भीर लहज़े में कहा
" तुम ठीक कह रही हो बेटी मैं कल आ जाऊंगी" इतना कहकर आराधना की। मां ने फोन काट दिया
आराधना की मां की बात सुनकर कामिनी और परेशान हो गई मधु के घर पर ऐसा क्या हुआ जो आराधना को इतना परेशान कर गया की वह टूटकर बिखर गई यही सोचती हुई कामिनी फिर से आराधना के कमरे की ओर चल पड़ी यह सोचकर शाय़द अब वह दरवाजा खोल दे••••
क्रमशः••••
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
22/1/2022