मुंबई शहर के बीचोबीच सड़क पर एक बस यात्रियों से खचा खच भारी हुई दादर शिवाजी पार्क से बांद्रा की ओर मुड़ी अगला बस स्टॉप माटुंगा का था ,कंडक्टर टिकट कटने में लगा हुआ था ,इस भरे भिड़ में कंडक्टर सभी को धकेल ढकाल के अपने लिए जगह बनाता हुआ टिकट काट रहा था , ऐसे भिड़ के समय में कंडेक्टर के दिमाग अक्सर खराब ही रहते हैं ,एक तो भिड़ उस पर कभी छुट्टे की टेंशन तो कभी धक्का मुक्की से बचने की टेंशन ,है स्टॉप पर घंटी बजाने की टेंशन लोगो को आने वाले स्टॉप के लिए सावधान करने की टेंशन कई चीजे उनके दिमाग में एक साथ चलती रहती है ,इसलिए भिड़ के समय यदि किसी ने उन्हे छेड़ा तो उसे गाली मिलनी तय है ,ऐसे ही समय एक पैसेंजर ने उन्हे पांच सौ रुपए का नोट दे दिया ,और वह भी पांच रुपए के टिकट के लिए तो उसका दिमाग सातवे आसमान पर चढ़ गया उसने ताव में कहा *"पांच रुपए छुट्टे निकाल, *"!
पैसेंजर भी एक खडूस टाइप का आदमी था ,उसने कहा *" नही है ,तुम्हारे पास तो है दे दो ,*"!!
कंडक्टर उसे खा जाने वाली नजरो से देख कहता है *" तु अकेला हैं ,सबको छुट्टा देते बैठूंगा तो सबके टिकट कब काटूंगा , छुट्टा निकाल नही तो नीचे उतर,*" !!
और कंडक्टर ने घंटी बजा कर बस रोक दी , कुछ लोग जिनको पास ही जाना था वह उतर भी गए ,अब सभी लोग उस पैसेंजर पर चिल्लाने लगे तो वह कहता है,*" नही है छुट्टा तो क्या करू मैं नीचे भी नही उतरूंगा ,*"!!
एक आदमी कहता है ,*" कोई बात नही मैं से देता हूं पांच रुपए वैसे भी भिखारियों को तो देते ही हैं ,*"!!
उसके इस बात पर बवाल मच जाता है ,तभी एक आदमी चिल्लाता है ,*" अरे मेरा पर्स किसी ने मेरा पर्स मार दिया *"!!
,सभी एक दूसरे को शक की नजर से देखने लगते हैं ,तभी एक और आदमी चीखता है*" अरे मेरा भी पर्स मार दिया , हाय रे देवा मुझे अभी बिल भरना था ,(चारो ओर देख कर ,) कोई बाहर नही जायेगा सबको चेक करो ,*"!!?
एक आदमी कहता है ,*" भाई अभी जो चार पांच लोग उतरे उसमे से ही किसी ने जेब काटा होगा ,*"!!
सभी जेबकतरे को गालियां बकने लगते हैं *"!!
उसी समय वहां से मुश्किल से दो सौ मीटर दूर एक गली में ,बस रुकते ही उतरने वाले में से एक खूबसूरत लड़की जिसकी उम्र मुश्किल से अठारह साल होगी और एक लड़का जो सोलह सत्रह साल का होगा ,वह स्कूल ड्रेस में था ,और उसके पीछे स्कूल बैग भी पड़ा था ,और लड़की के भी कंधे पर बैग था ,वह भी किसी कॉलेज की स्टूडेंट ही थी,*"!
संजना एक सुंदर सी स्मार्ट लड़की थी ,वह दिखने में भी भोली भाली लग रही थीं, वह उस लड़के जिसका नाम वेदांत है , उस से कहती है ,*" दिखा बे कितना माल है ,*"!!
वेदांत कहता है ,*" ये तेरे से कितनी बार बोला है बे वे नही बोलने का ,आई डोंट लाइक दिस टाइप ऑफ लैंग्वेज *"!!
वह तीन पर्स उसकी ओर बढ़ाता है ,""!!
संजना देख कर कहती है *",दो बस में तीन पर्स बस ,*"!!
वेदांत कहता है ,*" अब तेरा हाथ नही चलता उतनी तेज़ी से ,*"!!
वह उसे एक चपत लगा कर कहती है ,*"कुल हां कुल !! अपने हाथ की बराबरी शहर का कोई जेबकतरा नही कर सकता है , इतना बहुत हैं ना खर्चा पानी ही तो चाहिए ना ,*"!!
वह एक पर्स देखती है तो उसका मुंह बन जाता है , और गाली देते हुए कहती है ,*" साला कुत्ता भिखारी पर्स में दस रुपए रखता है , *"!!
वह पूरा पर्स छान मारती है , उसमे सिर्फ क्रेडिट कार्ड , एटीएम कार्ड , पैन कार्ड और आधार कार्ड के अलावा कुछ नही था ,*"!!
संजना वेदांत से कहती है ,*" इसको तुरंत फोन कर और लौटा दे इसका पर्स कुछ तो देगा साला, *"!!
वेदांत उसके पर्स में से उसका कार्ड देखकर कॉल करता है ,सामने से एक आदमी परेशान होकर फोन उठाते हुए कहता है ,*" और रुको भाई मेरा किसी ने पर्स मार दिया है मैं पहले पुलिस स्टेशन जा कर कंप्लेंट लिखवा दूं फिर बात करता हूं ,*"!!
वेददंत कहता है ,*" अरे अंकल आपका पर्स मुझे मिला है ,उसी के लिए फोन किया इधर सड़क पर गिरा था शिवाजी पार्क बस स्टॉप के पास,*"!!
वह आदमी कहता है ,*" थैंक्स बेटा तुम अभी कहा हो ,"!!
वेदांत कहता है ,*" में तो स्कूल जा रहा हूं ,,!!
वह आदमी कहता है ,*"तुम अपना लोकेशन भेजो मैं अभी आता हूं ,,!!
वेदांत संजना को देखता है ,और रोड पर जाकर लोकेशन भेजता है ,!!
इतनी देर में संजना बाकी दोनो पर्स में से छह हज़ार एक सौ दस रुपए निकाले थे , उनमें भी कार्ड और वही सब कुछ थे, ,*"!!
वह उनके कार्ड वैगेरह निकल कर पर्स को गटर में डाल देती है ,और वेदांत से थोड़ी दूर खड़ी हो जाती है ,उसी समय एक टैक्सी आकर रुकती है , उसमे से एक करीब पैंतीस साल का आदमी उतरता है ,और वेदांत की ओर देख कर पूछता है ,*" वो तुम ही हो ,*"!!
वेदांत कहता है ,*" आपका ही पर्स गिरा है ,*"!!
वह कहता है ,*" हां मेरा ही गिरा है ,*"!!
वेदांत ने तो उसका फोटो तो देख ही लिया था ,,वह जेब से निकाल कर पर्स देता है और कहता है ,*" आपके पर्स के चक्कर में मुझे स्कूल के लेट हो गया ,टीचर से डांट पड़ेगी , लेट होने पर वो बाहर खड़ी कर देती हैं, *"!!
वह आदमी अपनी जेब से एक दो सौ का नोट देकर कहता हैं *" ये रख ले बेटा थैंक्स, नही तो मुझे इन कार्ड्स को दुबारा पाने के लिए बहुत मुसीबत झेलनी पड़ती, ,*"!!!
वह जाता है ,वेदांत संजना के पास आकर कहता है ,*" चल दो सौ तो देकर गया , वैसे भी आज कल लोग ये डिजिटल पेमेंट करने लगे इसलिए पर्स में ज्यादा पैसे नही रखते पर्स तो कार्ड रखने के लिए यूज करते है , बाकी में क्या था *!!
संजना कहती है ,*" छह हजार रूपए मिले सौ रुपए ऊपर हैं ,उनके कार्ड उनके पते पर भेजने के काम आ जायेंगे , ये कार्ड दुबारा बनवाना बहुत मुश्किल होता है *"!!
वेदांत कहता है ,*" दीदी तु भी कमाल है जेब काटने के टाइम पर जरा भी नहीं सोचती और बाद में उनके प्रोब्लम के बारे ने सोचती है ,*"!!
आगे की कहानी अगले भाग में जानिए संजना जैसी खूबसूरत लड़की जेबकतरी क्यों बनी ,*"!!
क्रमशः